पिता चुपचाप उस दुकान में चले जाते हैं जहां श्रुत्वा देसाई काम करती है, और मार्मिक दृश्य चलने पर वह पूरी तरह से सतर्क हो जाती है। वह फूट-फूट कर रोने लगती है और उत्तेजना से अभिभूत होकर अपना चेहरा ढक लेती है। जानें अधिक इस ब्लॉग में-
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