बहुत ही ख़ुशी वाली फीलिंग होती है - माँ-बाप बनना, लेकिन असली चैलेंजेस तो बच्चे के जनम के बाद शुरू होते हैं। जब बच्चा बड़ा होता है, तब हमें उसका स्वभाव, रुचियाँ, ज़रूरतों आदि को खुद ही समझना पड़ता है।
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