हमारी नींद की मुद्रा हमारे भीतर छुपी भावनाओं और अनुभवों को प्रतिबिंबित करती है। उदाहरण के लिए, जो लोग भ्रूण की मुद्रा में सोते हैं, वे अंदर से संवेदनशील हो सकते हैं, जबकि पीठ के बल सोने वाले लोग आत्म-विश्वासी माने जा सकते हैं।
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