कल्पना साहू, जिन्हें कभी शिक्षा के मार्ग को नज़रअंदाज़ करना पड़ा था, आज अपनी भाषा ओडिया में हमसे गर्व से बात करती हैं और हमें बताती हैं की स्कूल छोड़ने के बाद उन्होंने उन किताबों को चुनना क्यों चुना। जानें अधिक इस फ़ीचर्ड टॉप स्टोरीज ब्लॉग में-
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