छोटी उम्र से ही बच्चों, विशेषकर लड़कियों को सिखाया जाता है कि उन्हें चुपचाप रहना चाहिए, दूसरों की बात माननी चाहिए और अपनी राय व्यक्त करने से बचना चाहिए। परंतु, क्या चुप रहना वास्तव में संस्कार का सूचक है?
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