बच्चों की हर जिद को पूरी करना न सिर्फ उनकी असंवेदनशीलता को बढ़ावा देता है, बल्कि यह उन्हें समय-समय पर असहाय और अनुभवहीन बना देता है। सही सीमाएँ स्थापित करने से बच्चों को सामाजिक, नैतिक और आत्मिक रूप से सही मार्ग दिखाया जा सकता है।
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