यह एक ऐसा सवाल है जो आज भी समाज के विभिन्न हिस्सों में उठाया जाता है। हमारे देश की राजनीति और समाज की संरचना में पुरुषों का दवाब लंबे समय से रहा है। महिलाओं की क्षमताओं और उनके योगदान को स्वीकारना और उन्हें प्रोत्साहित करना हमारी जिम्मेदारी है।
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