ओपिनियन: विवाह कभी भी किसी महिला के सशक्तिकरण में बाधा नहीं बनना चाहिए, इसके बजाय, यह एक सहायक आधार होना चाहिए जो उसे फलने-फूलने की अनुमति दे। नारीवाद और महिला सशक्तिकरण का विस्तार वैवाहिक स्थिति से भी आगे है।
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