कई समाजों में, पारंपरिक मानदंड और अपेक्षाएँ लैंगिक असमानताओं को बनाए रखती हैं, जिससे महिलाओं पर अनावश्यक बोझ पड़ता है। ये अपेक्षाएँ अक्सर महिलाओं के योगदान को कम आंकती हैं, उनके अवसरों को सीमित करती हैं और पुरानी रूढ़ियों को मजबूत करती हैं।
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