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ये किकबॉक्सर अपने गृह राज्य के लिए आशा और दृढ़ संकल्प का प्रतीक रही है. 2015 में, जब उन्होंने नई दिल्ली के तालकटोरा स्टेडियम में आयोजित राष्ट्रीय किकबॉक्सिंग चैम्पियनशिप में उप-जूनियर श्रेणी में स्वर्ण पदक जीता तो उन्हें राष्ट्रीय मान्यता मिली.
SheThePeople.TV ने ताजामुल इस्लाम के साथ किकबॉक्सिंग के उनके जुनून और 10 साल की उम्र में पेश होने वाली चुनौतियों के बारे में उनसे बातचीत की. साक्षात्कार के कुछ संपादित अंश.
राष्ट्रीय स्तर पर ताजामुल की उपलब्धि ने उन्हें विश्व चैम्पियनशिप का टिकट दिला दिया. दिलचस्प बात यह है कि किकबॉक्सिंग उसकी पहली पसंद नहीं थी. वह वुशु और तायक्वोंडो में भी उत्कृष्टता प्राप्त करती रही है. उनके भाई और दो बहनें भी किकबॉक्सर्स हैं. वह 2014 में किकबॉक्सिंग में आईं जब उन्होंने एक स्थानीय अकादमी में खेलना शुरु किया, जो मार्शल आर्ट्स में युवा लड़कों और लड़कियों को प्रशिक्षित करती थी.
ताजामुल याद करती है, "इटली में, मैंने चीन, अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया समेत विभिन्न देशों की छह लड़कियों को हराया और मुझे कहना होगा कि यह जीवनभर का अनुभव था. उसके बाद जब मैं घर वापस आयी, मेरा एक यादगार स्वागत हुआ. मेरे पिता और परिवार मेरा इंतेजार कर रहे थे और जब मैंने उन्हें पदक सौंप दिया तो उनकी आंखों को विश्वास नहीं हो रहा था. इटली से आने पर, ग्रामीणों ने मुझे जबरदस्त उत्सव के साथ स्वागत किया. "
"इटली ने मुझे जीवन भर की यादें और कई अनुभव दिए. मैंने खेलने और अभ्यास करने के लिए बहुत सारे दोस्त बनायें. मेरे कोच राहवत सर ने अपने प्रशिक्षण से मुझे एक अच्छा लड़ने वाला बना दिया. बाकी इतिहास है."
किकबॉक्सिंग एक अच्छी आत्मरक्षा है और लड़कियों और महिलाओं को अपनी सुरक्षा के लिए इसे सीखना चाहिए - ताजामुल इस्लाम
जब उनसे पूछा गया कि उन्हें किकबॉक्सिंग के लिये किसने प्रेरित किया तो आर्मी गुडविल स्कूल, बांदीपोरा की इस छात्रा ने कहा, “किकबॉक्सिंग एक अच्छी आत्मरक्षा है और लड़कियों और महिलाओं को अपनी सुरक्षा के लिए इसे सीखना चाहिए. मेरे भाई और मेरी बहन मेरे सामने अकादमी में शामिल हुये. जब मैंने रुचि दिखाई, अकादमी के कोच फैसल दार सर ने मुझे बताया कि मैं बहुत छोटी हो सकती हूं, लेकिन मेरे पास पेशेवर प्रतिभा है. उन्होंने कहा कि उन्होंने मुझे दूर से देखा और मेरी सहज आक्रामक गति उन्हें पसंद आयी. अंततः इसने मुझे एक चैंपियन बना दिया. वहां पर हमें मुफ्त में ट्रेनिंग दी जाती है अध्ययन के दौरान. "
मेरे क्षेत्र की लड़कियां आमतौर पर खेल को नही चुनती है
प्रायोजन और चुनौतियों के बारे में पूछते समय, उन्होंने भारतीय सेना को उनके सहयोग के लिए धन्यवाद दिया. ताजामुल ने कहा, "मेरा परिवार इटली में चैम्पियनशिप के लिए मेरी यात्रा का ख़र्च नही उठा पाया. मेरे पिता एक निर्माण कंपनी में एक ड्राइवर है और घर चलाने के लिये उन्हें हर दिन संघर्ष करना होता है. मेरे क्षेत्र की लड़कियां आमतौर पर खेल को समझती नहीं हैं और टूर्नामेंट में भाग लेने के लिए विदेश नही जाती हैं. इसके अलावा, मैंने काफी बचपन से शुरू किया, इसलिए मेरे परिवार को मेरा पढ़ाई के साथ संतुलित बनाने के बारें में थोड़ा संदेह था. जब मैंने उन्हें आश्वस्त किया, तो सबसे बड़ी समस्या खेल में प्रतिस्पर्धा करने के लिए धन इकट्ठा करना था. सेना की मदद के बिना मेरा इटली जाना नमुमकिन था जिन्होंने मेरी मदद की.”
हम इतने कम से बहुत ज्यादा हासिल कर रहे हैं. बुनियादी ढांचे के बारे में बात करते हुए, इस युवा खिलाड़ी ने कहा, "कश्मीरी खिलाड़ियों को सुविधाओं और अवसरों की सख्त जरूरत है. हम बहुत कम से बहुत ज्यादा हासिल कर रहे हैं. सोचें कि हमें किसी अन्य राज्य या देश की तरह उपकरण उपलब्ध कराए जायें तो हमें रोक पाना आसान नही होगा."
ताजामुल सपना देखती है कि जब वह बड़ी होगी तो भारतीय सेना के साथ डॉक्टर बनेंगी.