Advertisment

क्या औरतो को ख़ास एमबीए की ज़रूरत है?

author-image
Swati Bundela
New Update
अनुराधा दस माथुर एक जर्नलिस्ट से एंट्रेपरेणेउर बनी. वह वेदिका स्कॉलर्स प्रोग्राम की फाउनडिंग डीन है. यह महीलाओं के लिए ख़ास एमबीए स्कूल है, वेदिका स्कॉलर्स प्रोग्राम. यहाँ पे महीलाओं के लिए स्कूल मैं स्पेशल ट्रैनिंग दी जाती है. पढ़ाई के अलावा यहाँ पर अन्य सब्जेक्ट की ट्रैनिंग दीजाती है. अनुराधा का लक्ष्य है की वो महीलाओं को काम करने के लिए प्रेरित करें. उनका मानना है की आम तौर परमहीलायें करियर में से टूट कर घर पर रह जाती है. अनुराधा की कोशिश है की और ज़्यादा औरते एंट्रेपरेणेउर बने औरवेदिका स्कॉलर्स प्रोग्राम जैसे कोर्स से अपनी जिंडगे पर कंट्रोल लाये. ऐसा क्यूँ है की औरतें जो पढ़ाई में अवलनंबर लाती है या हाइली ट्रेंड है, वह अपने करियर से क्यूँ हट जाती है? अनुराधा का मानना है की नही सिर्फ़ विमन करियर बनाए पर वर्कफोर्स में हुमेशा के लिए रहे.

अनुराधा टीन इश्यूस को उठाती है. पहला यह किमहीलायें वर्कफोर्स मैं रहें और नौकरी में रहें. दूसरा कि उन्हे किस तरह केटूल्स की ज़रूरत है आंड क्या इंसघत्स उन्हे करियर और काम के लिए तैइय्यार करें. तीसरा की प्लैइन वेनिला एमबीए अब पूर्ण रूप से करियर के संगर्श के लिए महीलायों को प्रिपेर नही कर पा रहे है. वेदिका स्कॉलर्स प्रोग्राम के ज़रीय वह सोशियल सेक्टर, एंट्रेपरेणेउर्शिप, अकॅडेमिक समझजैसी ऑप्षन्स के लिए भी तैइय्यार करते है.

कम्यूनिकेशन और नये सोच एवं सोशियल स्किल्स की एक साथ, एक समूह में ज़रूरत है. अनुराधा कहती है की काई बार उनके पास हुनर वेल स्टूडेंट आते है लेकिन उनको कम्यूनिकेशन में ट्रैनिंग की ज़रूरत होती है. वेदिका प्रोग्राम के द्वारा नये स्किल्स जुटा ने में महीलाओं की मदद करती है.
women achievers anuradha das mathur अनुराधा दस माथुर कम्यूनिकेशन और नये सोच
Advertisment