From Child Marriage to Topper: Is Nirmala's Story a Blueprint for Change in India? पढ़ने की जिद और सपनों को उड़ान देने वाली निर्मला की कहानी, समाज में रूढ़ियों और परंपराओं के अंधेरे में, कुछ लड़कियां उम्मीद की किरण बनकर उभरती हैं। न सिर्फ वो खुद को मजबूत बनाती हैं बल्कि दूसरी लड़कियों को भी आत्मनिर्भरता का रास्ता दिखाती हैं। आंध्र प्रदेश की छात्रा एस. निर्मला ऐसी ही एक लड़की हैं। कुरनूल जिले के आदोनी मंडल के एक छोटे से गांव पेद्दा हरिवनाम से ताल्लुक रखने वाली निर्मला गरीबी और बाल विवाह के दबाव से जूझ रही थीं। लेकिन शिक्षा प्राप्त करने की उनकी ख्वाहिश इतनी मजबूत थी कि उन्होंने हर मुश्किल का सामना किया। आज वह आंध्र प्रदेश में इस साल की इंटरमीडिएट परीक्षा में टॉपर बनकर सुर्खियों में हैं।
गरीबी और बाल विवाह को हराकर, आंध्र प्रदेश की निर्मला बनी इंटरमीडिएट परीक्षा की टॉपर!
शानदार प्रदर्शन और भविष्य के सपने
रिपोर्ट्स के अनुसार, निर्मला ने 440 में से 421 अंक हासिल कर इंटरमीडिएट बोर्ड परीक्षा में टॉपर बनीं। 2023 में उन्होंने 537 अंकों के शानदार स्कोर के साथ अपनी एसएससी परीक्षा उत्तीर्ण की थी। निर्मला का सपना एक आईपीएस अधिकारी बनना है ताकि बाल विवाह की कुप्रथा को मिटाया जा सके और उनके जैसी लड़कियों को अपने सपनों को पूरा करने के लिए प्रोत्साहित किया जा सके। लेकिन रूढ़ियों को तोड़ने वालों का जीवन इतना आसान नहीं होता। उन्हें न सिर्फ आर्थिक बल्कि लैंगिक भेदभाव जैसी चुनौतियों का भी सामना करना पड़ता है।
निर्मला ने किन चुनौतियों को पार किया?
गरीबी से जूझ रहे निर्मला के माता-पिता ने उनकी एसएससी की पढ़ाई के बाद उनकी शादी करने और शिक्षा को खत्म करने का फैसला किया था। वो पहले ही अपनी तीन बेटियों की शादी कर चुके थे। उन्होंने निर्मला को यह कहकर पढ़ाई छोड़ने के लिए मनाने की कोशिश की कि अब वो उनकी पढ़ाई का खर्च नहीं उठा सकते। चूंकि आसपास कोई जूनियर कॉलेज नहीं था, इसलिए माता-पिता ने कहा कि उन्हें सहारा देना और भी मुश्किल हो जाएगा।
लेकिन निर्मला उच्च शिक्षा प्राप्त करने के लिए अडिग थीं। इसलिए उन्होंने पिछले साल स्थानीय वाईएसआरसी विधायक वाई. सईप्रसाद रेड्डी के "गाडपा गडापकु मना प्रभुत्वं" कार्यक्रम के दौरान उनसे संपर्क किया। उन्होंने उनसे शिक्षा प्राप्त करने में मदद और समर्थन देने का अनुरोध किया।
निर्मला की दुर्दशा से प्रभावित होकर, रेड्डी ने जिला कलेक्टर जी. श्रुजना से संपर्क किया और उन्हें पूरी स्थिति बताई। कलेक्टर ने तब निर्मला को बाल विवाह से बचाया। जिला प्रशासन ने निर्मला को अस्पारी के कस्तूरबा गांधी बालिका विद्यालय में दाखिला दिलाया जो निर्मला की सफलता का आधार बना।
रेड्डी ने पत्रकारों से बात करते हुए कहा कि निर्मला की सफलता की कहानी इस बात का सबूत है कि आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री वाईएस जगन मोहन रेड्डी की सरकार महिला सशक्तीकरण की दिशा में कैसे काम कर रही है।
निर्मला पूरे भारत की महिलाओं के लिए प्रेरणा क्यों हैं?
निर्मला की कहानी भारत की उन कई लड़कियों के लिए सच्ची प्रेरणा है जो बलात्कार, बाल विवाह और यहां तक कि हत्या जैसे अन्याय का सामना कर रही हैं। अपने सपनों को थामे रखने और दृढ़ संकल्प के बल पर उन्होंने अपने लक्ष्य को हासिल किया। आईपीएस अधिकारी बनकर भारत की लड़कियों की दुर्दशा को दूर करने का बड़ा लक्ष्य वाकई सराहनीय है। यह इस बात का जीता जागता उदाहरण है कि अगर एक महिला को भी सशक्त बनाया जाए तो समाज को क्या फायदा हो सकता है।
कानून और जागरूकता: बदलाव की कुंजी
गौर करने वाली बात निर्मला को अपने अधिकारों के बारे में जानकारी थी जिसके कारण वो मदद के लिए राजनेताओं के पास पहुंचीं। हमारे देश में महिला सशक्तीकरण और बाल विवाह जैसी कुरीतियों को खत्म करने के लिए कई कानून हैं। लेकिन कई बार लोग कानूनों को दरकिनार कर परंपराओं को ज्यादा महत्व देते हैं। निर्मला ने साबित कर दिया कि कानून और सरकारी तंत्र सशक्तीकरण के हथियार हैं। जब कानून और नेता अपनी जिम्मेदारियों को समझते हैं और हरकत में आते हैं, तो अन्याय टिक नहीं सकता।
निर्मला की कहानी हमें यह सीख देती है कि शिक्षा और जागरूकता ही सामाजिक बुराइयों को खत्म करने का रास्ता है। हमें बालिका शिक्षा को बढ़ावा देने और लड़कियों को उनके अधिकारों के बारे में जागरूक करने की जरूरत है। तभी हम एक ऐसे समाज का निर्माण कर सकते हैं जहां हर लड़की निर्मला की तरह अपने सपनों को पूरा करने के लिए उड़ान भर सके।