भारत में हर रोज हजारों की संख्या में रेप के मामले सामने आते हैं। लेकिन इन सभी मामलों में महिलाओं को न्याय नहीं मिलता है। यहां पर अपराधी बच कर भाग जाते हैं क्योंकि समाज उन्हें ऐसा करने देता है। भारतीय पुरुष प्रधान समाज महिलाओं को ही उनके रेप का जिम्मेदार ठहराता है। वह उनके कपड़े पहनने के तरीके और छोटे कपड़ों पर सवाल उठाता है और इसी को उनके रेप होने का कारण भी बताता है।
सबसे बड़ी परेशानी तो यह है कि हमारे समाज में महिलाएं ही महिलाओं की सबसे बड़ी दुश्मन हैं। जो महिलाएं खुद रूढ़िवादी सोच रखती हैं वे दूसरी महिलाओं की आलोचना करती है और उनका साहस बनने की बजाय उन्हें पीछे खींचने में जुट जाती है।
बच्चियां भी सुरक्षित नहीं
हमारे समाज में तो छोटी बच्चियां भी सुरक्षित नहीं है। यहां 11 साल की छोटी बच्चियों को भी छोटे कपड़े पहनने पर लोग गलत तरीके से देखते हैं।
मुझे याद है जब एक बार मैं अपने पेरेंट्स के साथ घूमने गई थी। मैंने शॉर्ट स्कर्ट पहनी थी। जैसे ही मैं कुछ समय के लिए अपने पेरेंट्स से दूर हुई मैंने कुछ आदमियों को अपने बारे में अश्लील बातें करते हुए सुना। यह सुनकर मेरे रोंगते खड़े हो गए। मैं इतना डर गई थी कि मैंने अपने पेरेंट्स को इसके बारे में बताया भी नहीं।
देवी को पूजने वाली जमीन महिलाओं के लिए इतनी असुरक्षित क्यों?
हम यह नहीं कह सकते कि आदमी की गलत सोच और व्यवहार के लिए उनकी मां जिम्मेदार है। इसके लिए पूरा समाज ही जिम्मेदार है। महिलाओं को हमारे समाज में शुरू से ही दबाया गया है। बचपन में पैदा होते ही उन्हें एहसास करा दिया जाता है कि वह कमतर हैं।
जब एक लड़के का जन्म होता है तो बहुत धूमधाम से इसे सेलिब्रेट किया जाता है लेकिन जब किसी लड़की का जन्म होता है तो इस बात को दबाकर शांत रखा जाता है। लडकियों को एजुकेशन देने से पहले भी लड़कों की एजुकेशन के बारे में सोचा जाता है। अगर पैसों की कमी हो तो लड़की को महत्व ना देकर लड़की की एजुकेशन को महत्व दिया जाता है।
शुरू से ही लड़कों को यह सिखाया जाता है कि लड़कियां उनसे कम हैं और वे उनके साथ किसी भी तरह का व्यवहार कर सकते हैं और उन्हें दबा सकते हैं। इसलिए बड़े हो जाने पर भी मर्दों में यही भावना जिंदा रहती है। और वे राह चलती है औरत को अपनी मिल्कियत समझते हैं।
महिलाओं के छोटे कपड़े को रेप के लिए दोषी ठहराना तो केवल इस टॉक्सिक माइंडेड सोसाइटी के पुरूषों का बचाव करने के लिए दिया जाने वाला एक तर्क है। और साथ ही में महिलाओं की आजादी को न सह पाने का पागलपन भी।
महिलाओं को खुद के लिए आवाज़ उठानी होगी
हम आए दिन देखते रहते हैं कि किस तरह बॉलीवुड की फीमेल एक्टर्स उनके पहनावे की वजह से ट्रॉल किया जाता है। लेकिन इन ट्रॉल्स की वजह से वे खुद को नहीं बदलती। वे अपनी आलोचना करने वालों को मुंहतोड़ जवाब देती है। सभी महिलाओं को इसी तरह अपने लिए आवाज उठाने की जरूरत है।
कोई आपके बारे में किस तरह से सोचेगा, इस वजह से अपने आपको न बदलें। बल्कि अपने लिए आवाज़ उठाएं और दूसरी महिलाओं का साहस भी बनें। महिलाओं के छोटे कपड़े उनके रेप के लिए जिम्मेदार नहीं है बल्कि इस समाज की दी गई गलत शिक्षा और सोच इसकी जिम्मेदार है। पुरुषों की गंदी सोच और महिलाओं के प्रति उनकी धारणा, एजुकेशन की कमी इसके ज़िम्मेदार हैं।