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Images Credit: PTI
अनु कुंजुमोन, केरल की उन गिनी-चुनी महिला बाउंसर्स में से एक हैं, जो अपनी मानसिक और शारीरिक शक्ति के बल पर इस क्षेत्र में सफलता की नई मिसाल कायम कर रही हैं। उन्होंने मलयालम फिल्म इंडस्ट्री के दिग्गज कलाकारों की सुरक्षा का ज़िम्मा संभाला है, जिसमें सुपरस्टार मोहनलाल भी शामिल हैं। हाल ही में जब मोहनलाल अपनी फिल्म L2 Empuraan के प्रमोशन के लिए पहुंचे, तब अनु की मजबूत और आत्मविश्वासी उपस्थिति ने सबका ध्यान खींचा। काले टी-शर्ट और पैंट में अनु का रौबदार अंदाज़ समाज की पारंपरिक सोच को चुनौती देता है।
अनु कुंजुमोन का प्रेरणादायक सफर
37 वर्षीय अनु कुंजुमोन ने हाल ही में प्रेस ट्रस्ट ऑफ इंडिया (PTI) को दिए एक इंटरव्यू में बताया कि वह कैसे सेलिब्रिटीज़ की सुरक्षा संभालने के क्षेत्र में आईं। पारिवारिक संघर्षों के कारण उन्होंने कम उम्र में ही जिम्मेदारियां उठानी शुरू कर दी थीं। उन्हें अपने परिवार, खासकर अपनी मां और बहन के लिए आर्थिक रूप से सक्षम बनना था। यही संघर्ष उनके आत्मविश्वास को मज़बूत करता गया और उन्होंने खुद को इस पेशे के लिए तैयार किया।
"मैंने अपनी ज़िंदगी में कई तरह की चुनौतियों का सामना किया है। समाज में सम्मान के साथ जीने और अपने परिवार का ख्याल रखने के लिए मैंने कड़ी मेहनत की, और मानसिक शक्ति के बल पर हर मुश्किल को पार किया," अनु ने PTI को बताया।
फोटोग्राफी से बाउंसर बनने तक
अनु ने अपने करियर की शुरुआत मनोरंजन जगत में बतौर फोटोग्राफर की थी। वह फिल्म प्रमोशनल इवेंट्स और सेलिब्रिटी गैदरिंग्स कवर किया करती थीं। इसी दौरान एक कार्यक्रम में उनकी एक पुरुष बाउंसर से बहस हो गई। इस घटना ने उन्हें यह सोचने पर मजबूर कर दिया कि आखिर सुरक्षा के क्षेत्र में महिलाएं क्यों नहीं होतीं? इस सवाल ने उनके करियर को एक नया मोड़ दिया।
उन्होंने ठान लिया कि वह इस क्षेत्र में कदम रखेंगी और अन्य महिलाओं के लिए एक मिसाल बनेंगी। हालांकि उन्होंने किसी प्रकार के भेदभाव का सीधा सामना नहीं किया, लेकिन उन्हें यह अहसास हुआ कि महिलाओं के लिए इस क्षेत्र में प्रवेश करना अब भी आसान नहीं है। मुख्य चुनौती यह है कि महिलाओं के लिए इस पेशे में उचित ट्रेनिंग की व्यवस्था नहीं है।
महिलाओं के लिए नई राह खोल रही हैं अनु
अनु कुंजुमोन ने सेलिब्रिटी इवेंट्स से लेकर हाई-प्रोफाइल पार्टियों और पब्स तक में सुरक्षा का कार्यभार संभाला है। PTI की रिपोर्ट के अनुसार, अब कई अन्य महिलाएं भी इस क्षेत्र में कदम रख रही हैं और पारंपरिक सोच को तोड़ने के लिए तैयार हैं। अनु मानती हैं कि बाउंसर बनने के लिए सबसे जरूरी है मानसिक और शारीरिक शक्ति, आत्मविश्वास, और समाज के पूर्वाग्रहों से लड़ने का जज़्बा।
उनकी कहानी इस बात का प्रमाण है कि महिलाएं किसी भी क्षेत्र में पुरुषों के समान ही सफल हो सकती हैं, बस ज़रूरत है इच्छाशक्ति और मेहनत की। अनु कुंजुमोन न केवल खुद को एक मजबूत महिला के रूप में स्थापित कर चुकी हैं, बल्कि वह अन्य महिलाओं के लिए भी एक प्रेरणा बन रही हैं।