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Photograph: (Neera Arya/ anandabazar.com)
भारत की पहली महिला जासूस और स्वतंत्रता संग्राम की निडर सेनानी नीरा आर्या की कहानी अब बड़े पर्दे पर जीवंत होने जा रही है। "Neera Arya" नामक हिंदी फिल्म के ज़रिए उनके बलिदान और संघर्ष को नए भारत के सामने लाया जाएगा, ताकि आने वाली पीढ़ियां जान सकें कि आज़ादी की कीमत क्या थी।
Neera Arya: आज़ादी की जंग की नायिका और भारत की पहली महिला जासूस पर बनेगी बायोपिक
Roopa Iyer बनाएंगी नीरा आर्या की बायोपिक
इस फिल्म का निर्देशन, निर्माण और अभिनय साउथ सिनेमा की जानी-मानी अभिनेत्री और निर्देशक रूपा अय्यर कर रही हैं। यह फिल्म R2 Patriotic Films LLP और Roopa Iyer Film Factory (RIFF) के बैनर तले बन रही है, जिसे Pranav Desai प्रस्तुत कर रहे हैं। फिल्म का संगीत गौतम श्रीवत्स दे रहे हैं, जो देशभक्ति की भावना को एक नई ऊंचाई देने का वादा करता है।
फिल्म का उद्देश्य: इतिहास के पन्नों से उठाकर जनमानस तक पहुंचाना
रूपा अय्यर ने बताया कि नीरा आर्या की कहानी उन्हें अंदर तक झकझोर गई। उन्होंने कहा कि कैसे एक महिला ने अपने पति के खिलाफ जाकर देशभक्ति की मिसाल पेश की, यह सिनेमा के ज़रिए बताना बेहद ज़रूरी है। फिल्म सिर्फ एक बायोपिक नहीं, बल्कि एक श्रद्धांजलि होगी उस बहादुर आत्मा को, जिसे आज तक भुला दिया गया।
कौन थीं नीरा आर्या?
जन्म: 5 मार्च 1902, खेकरा नगर (अब बागपत, उत्तर प्रदेश)
शिक्षा: कोलकाता में हुई
पृष्ठभूमि: सम्पन्न व्यापारी परिवार से ताल्लुक रखने वाली नीरा आर्या का जीवन संघर्षों से भरा रहा। उन्होंने आज़ादी की लड़ाई में आजाद हिंद फौज (INA) के झांसी की रानी रेजिमेंट में हिस्सा लिया।
पति या देश? नीरा ने चुना भारत
उनकी शादी ब्रिटिश CID अफसर श्रीकांत जयरंजन दास से हुई थी। जब उनके पति को नेताजी सुभाष चंद्र बोस को मारने का आदेश मिला, तब नीरा आर्या ने देश को चुना और अपने पति की हत्या कर दी ताकि नेताजी की जान बचाई जा सके। नेताजी ने उन्हें "नीरा-नागिनी" कहकर सम्मानित किया।
काला पानी की यातनाएं और आज़ादी के बाद उपेक्षा
जब आज़ाद हिंद फौज ने आत्मसमर्पण किया, तब नीरा आर्या को काला पानी जेल भेजा गया। वहां उन्हें अमानवीय यातनाएं दी गईं। आज़ादी के बाद भी उन्हें सम्मान नहीं मिला वो हैदराबाद की सड़कों पर फूल बेचकर अपना गुज़ारा करती रहीं।
'मेरा जीवन, मेरा संघर्ष': नीरा आर्या की आत्मकथा
नीरा आर्या ने अपनी आपबीती एक किताब में दर्ज की—“मेरा जीवन, मेरा संघर्ष”। यह किताब उनके दर्द, बलिदान और अनकहे इतिहास को शब्द देती है। यह आज की युवा पीढ़ी के लिए प्रेरणा का स्रोत है।
नीरा आर्या की बायोपिक क्यों ज़रूरी है?
- इतिहास की विस्मृत नायिका को स्थान दिलाना।
- नई पीढ़ी को सही और प्रेरणादायक उदाहरण देना।
- महिलाओं की भूमिका को स्वतंत्रता संग्राम में पहचान दिलाना।
- देशभक्ति की भावना को फिर से जगाना।