Unsafe Abortions: भारत के महिलाएँ घर पर असुरक्षित अबॉर्शन कर रही हैं

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Monika Pundir
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2019-21 के सरकारी आंकड़ों के अनुसार, भारत में हर चार एबॉर्शन(गर्भपात) में से कम से कम एक, महिला द्वारा स्वयं घर पर किया जाता था, और आधे से अधिक महिलाओं ने संकेत दिया कि गर्भपात की मांग करने का मुख्य कारण एक अनचाही प्रेगनेंसी थी। जबकि एक सुरक्षित गर्भपात सुनिश्चित करने के लिए कई नियम हैं, महिलाओं द्वारा अपने जीवन को खतरे में डालने के सबसे सामान्य कारणों में से एक यह जानकारी की कमी है कि गर्भपात कानूनी है और स्वास्थ्य संस्थानों में उपलब्ध है।

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आंकड़ों से यह भी पता चलता है कि 2015-16 में पिछली बार सर्वे के बाद से महिलाओं द्वारा घर पर किए गए गर्भपात के प्रतिशत में 1% की वृद्धि हुई है। नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे -5 (एनएफएचएस -5) की रिपोर्ट में कहा गया है, "एक-चौथाई (27%) से अधिक अबोरशंस महिला द्वारा घर पर ही किए गए थे।" शहरी 22.1% की तुलना में ग्रामीण क्षेत्रों में 28.7 % पाए गए।

अनप्लांड प्रेग्नेंसी भारत में घर पर गर्भपात की वजह 

NFHS-5 के अनुसार, अधिकांश अबॉर्शन (53%) प्राइवेट स्वास्थ्य सेंटर में किए गए, जबकि 20% पब्लिक स्वास्थ्य सेंटर में किए गए। 2015-16 के दौरान, एक चौथाई (26%) से अधिक अबॉर्शन घर पर स्वयं महिला द्वारा किए गए थे।

भारत के सबसे अधिक आबादी वाले राज्य (34%) उत्तर प्रदेश में गर्भपात का सबसे आम तरीका स्व-गर्भपात था, इसके बाद डॉक्टर और नर्स/सहायक नर्स मिडवाइफ (एएनएम)/लेडी हेल्थ एडवीज़र (एलएचवी) (लगभग 30 प्रतिशत) का स्थान आता है। अनप्लांड प्रेगनेंसी (50%) और प्रेगनेंसी कॉम्प्लीकेशन्स (25%) गर्भपात चाहने वाली महिलाओं (14%) के दो सबसे आम कारण थे।

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अधिकांश गर्भपात (39%) घर पर या प्राइवेट स्वास्थ्य सेंटर में किए गए थे। सार्वजनिक स्वास्थ्य क्षेत्र में 24% और काम किया गया।

राजस्थान में अधिकांश गर्भपात स्वयं महिलाओं (38 प्रतिशत) द्वारा किए गए। इसके बाद 36 प्रतिशत ने एक डॉक्टर से मुलाकात की। अनप्लांड प्रेगनेंसी (61 प्रतिशत), गर्भावस्था की समस्याएं और स्वास्थ्य संबंधी चिंताएं गर्भपात की मांग करने के लिए महिलाओं द्वारा दिए गए शीर्ष तीन कारण थे।

तमिलनाडु में महिलाओं ने गर्भपात की मांग करने के दो मुख्य कारणों का संकेत दिया: स्वास्थ्य संबंधी चिंताएं (31%), और एक अनप्लांड प्रेगनेंसी (12%)। अधिकांश गर्भपात (65%) प्राइवेट सेक्टर में किए गए, जबकि केवल 26% पब्लिक सेक्टर में किए गए। तमिलनाडु में, डॉक्टरों ने अधिकांश गर्भपात (80%) किया।

यह जानकारी ज़रूरी क्यों है?

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असुरक्षित अबॉर्शन मातृ मृत्यु का एक प्रमुख कारण है जिससे बचा जा सकता है। 1971 से भारत में मेडिकल टर्मिनेशन ऑफ प्रेगनेंसी (एमटीपी) कानूनी है, उपचार तक पहुंच एक समस्या बनी हुई है, खासकर ग्रामीण क्षेत्रों में। इसके अलावा, भारत की मैटरनल डेथ (मातृ मृत्यु) रेट (एमएमआर) प्रति 100,000 जीवित जन्मों पर 130 है। गर्भपात जो सुरक्षित नहीं हैं, एमएमआर के 8% के लिए जिम्मेदार हैं। जो लोग इन अवैध उपचारों से बचे रहते हैं उनमें से कई लॉन्ग टर्म, दुर्बल करने वाले बीमारी से पीड़ित होते हैं जो भविष्य में महिला के रिप्रोडक्टिव स्वास्थ्य को प्रभावित करते हैं।

नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे  2019-21 (NFHS-5) सीरीज में पांचवां है और प्रत्येक राज्य और केंद्र शासित प्रदेश (UT) के लिए भारत की जनसंख्या, स्वास्थ्य और पोषण पर डेटा प्रदान करता है। प्री स्कूल शिक्षा, विकलांगता, शौचालय की सुविधा तक पहुंच, मृत्यु पंजीकरण, मेंस्ट्रुअल हाइजीन और एबॉर्शन के लिए तकनीक और कारण सभी NFHS-5 में शामिल हैं।

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