निकहत ज़रीन ने वर्ल्ड बॉक्सिंग कप में फिर जीता गोल्ड, जानिए उनकी प्रेरणादायक कहानी

निकहत ज़रीन, तेलंगाना की युवा बॉक्सर, दो बार की विश्व चैंपियन, CWG गोल्ड मेडलिस्ट और अर्जुन अवार्डी हैं। 2011 से 2025 तक उन्होंने भारत को कई अंतरराष्ट्रीय पदक दिलाए।

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Kopal Porwal
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Nikhat Zareen

Photograph: (Business Standard)

निकहत ज़रीन आज भारत की सबसे भरोसेमंद मुक्केबाज़ों में से एक हैं। हाल ही में उन्होंने वर्ल्ड बॉक्सिंग कप के 51 किलो वर्ग में गोल्ड मेडल जीतकर देश को गर्व महसूस करवाया। तेलंगाना से अंतरराष्ट्रीय रिंग तक का उनका सफ़र मेहनत और आत्मविश्वास का परिणाम है। लगातार गोल्ड जीतकर निकहत साबित कर रही हैं कि भारतीय महिलाएँ हर मंच पर अपना लोहा मनवाने के लिए तैयार हैं। चलिए उनके बारे में जानते हैं-

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निकहत ज़रीन ने वर्ल्ड बॉक्सिंग कप में फिर जीता गोल्ड, जानिए उनकी प्रेरणादायक कहानी

भारत की सबसे युवा और प्रतिभाशाली महिला मुक्केबाज़ों में से एक निकहत ज़रीन का जन्म 14 जून 1996 को तेलंगाना के निज़ामाबाद में हुआ था। बचपन से ही वे चुलबुली, जोशीली और उत्साह से भरपूर रहीं। उनमें ऊर्जा, दृढ़ निश्चय और आगे बढ़ने की चाह हमेशा से साफ़ दिखाई देती थी।

पिता का सहयोग

निकहत ज़रीन के पिता मोहम्मद जमील अहमद का उनके मुक्केबाज़ी करियर में अत्यंत महत्वपूर्ण योगदान रहा है। स्वयं भी खेलों से जुड़े रहे जमील अहमद ने अपनी बेटी की जिज्ञासा और जुनून को समझते हुए उन्हें खेलों की दिशा में आगे बढ़ने के लिए प्रोत्साहित किया। शुरुआत में उन्होंने निकहत को एथलेटिक्स अपनाने के लिए प्रेरित किया।

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मुक्केबाज़ी में आगमन

एथलेटिक्स में उत्कृष्ट प्रदर्शन करते हुए निकहत ने कई पदक जीते। लेकिन एक घटना ने उनके जीवन की दिशा बदल दी। अर्बन गेम्स बॉक्सिंग प्रतियोगिता में जब उन्होंने देखा कि रिंग में एक भी लड़की भाग नहीं ले रही थी, तो उन्होंने इसी असमानता को चुनौती देने का फैसला किया। समाज में मौजूद लैंगिक असमानता को सीधे चुनौती देते हुए उन्होंने मुक्केबाज़ी सीखने का निश्चय किया।
लड़कों के साथ कड़ी मेहनत करते हुए अभ्यास ने न केवल उनका आत्मविश्वास बढ़ाया बल्कि उनकी लड़ाकू भावना को और मज़बूत बनाया।

मुक्केबाज़ी का सफर

निकहत ज़रीन मुख्य रूप से 50 किग्रा और 51 किग्रा वजन वर्ग में प्रतियोगिता करती हैं।

पहली राष्ट्रीय उपलब्धि

2010 में इरोड नेशनल्स में उन्हें ‘गोल्डन बेस्ट बॉक्सर’ का खिताब मिला। यह उपलब्धि उन्हें मुक्केबाज़ी शुरू करने के कुछ ही महीनों बाद मिल गई, जो उनकी अद्भुत प्रतिभा और मेहनत का प्रमाण है।

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पहली अंतरराष्ट्रीय उपलब्धि

2011 में तुर्की के अंताल्या में आयोजित AIBA महिला जूनियर और यूथ विश्व मुक्केबाज़ी चैंपियनशिप में उन्होंने स्वर्ण पदक जीता। यह उनके अंतरराष्ट्रीय करियर की शानदार शुरुआत थी।

दो बार की विश्व चैंपियन

2022 और 2023 की IBA महिला विश्व मुक्केबाज़ी चैंपियनशिप में लगातार दो बार गोल्ड मेडल जीतकर उन्होंने दुनिया को अपनी क्षमता का लोहा मनवाया।

कॉमनवेल्थ गेम्स गोल्ड मेडलिस्ट

2022 बर्मिंघम कॉमनवेल्थ गेम्स में उन्होंने शानदार प्रदर्शन करते हुए स्वर्ण पदक अपने नाम किया।

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वर्ल्ड बॉक्सिंग कप फाइनल्स 2025 गोल्ड मेडलिस्ट

नई दिल्ली में आयोजित 2025 वर्ल्ड बॉक्सिंग कप फाइनल्स में भी निकहत ज़रीन ने एक और गोल्ड मेडल हासिल किया।

एशियाई खेलों की कांस्य पदक विजेता

2023 के एशियन गेम्स में उन्होंने कांस्य पदक जीतकर भारत को गौरवान्वित किया।

यूथ वर्ल्ड चैंपियन

2011 की यूथ वर्ल्ड चैंपियनशिप में उन्होंने स्वर्ण पदक जीतकर कम उम्र में ही अपनी प्रतिभा का अद्भुत प्रदर्शन किया।

अर्जुन पुरस्कार

निकहत ज़रीन को अर्जुन पुरस्कार 2022 से सम्मानित किया गया। यह सम्मान उन्हें 30 नवंबर 2022 को राष्ट्रीय खेल पुरस्कार समारोह में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू द्वारा प्रदान किया गया।

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