Kadambini Ganguly Was India's First Woman Doctor with an Unwavering Spirit : कदम्बिनी गांगुली का नाम भारतीय चिकित्सा के इतिहास में स्वर्ण अक्षरों में अंकित है। वह आधुनिक चिकित्सा की डिग्री प्राप्त करने वाली प्रथम भारतीय महिला थीं। उनका जीवन न केवल चिकित्सा जगत में उपलब्धियों से भरा हुआ है, बल्कि सामाजिक परिवर्तन के लिए निरंतर संघर्ष का भी प्रतीक है।
जानिए भारत की प्रथम महिला डॉक्टर Kadambini Ganguly के बारे में
शिक्षा और प्रारंभिक जीवन
कदम्बिनी गांगुली का जन्म एक बंगाली परिवार में भगलपुर (आधुनिक बिहार) में हुआ था। उनकी परवरिश बारीसाल (वर्तमान बांग्लादेश) में हुई। उन्होंने ढाका (ढाका) के ब्रह्मो ईडन फीमेल स्कूल और उसके बाद कलकत्ता के हिंदू महिला विद्यालय, बल्लीगंज में अंग्रेजी शिक्षा प्राप्त की। बाद में यह विद्यालय 1878 में बेथून स्कूल में विलय हो गया, जिसने कदम्बिनी को कलकत्ता विश्वविद्यालय की प्रवेश परीक्षा उत्तीर्ण करने वाली पहली महिला बना दिया। कदम्बिनी गांगुली और चंद्रमुखी बसु बेथून कॉलेज की पहली स्नातक और देश की डिग्री प्राप्त करने वाली पहली महिलाएं बनीं।
चिकित्सा जगत में क्रांति
कदम्बिनी गांगुली ने अपने अथक प्रयासों से चिकित्सा जगत में भी क्रांति ला दी। उन्होंने कलकत्ता मेडिकल कॉलेज में प्रवेश पाने वाली पहली महिलाओं में से एक होने का गौरव प्राप्त किया। उन्होंने न केवल चिकित्सा की शिक्षा प्राप्त की बल्कि मरीजों का इलाज भी किया। यहां तक कि अपनी मृत्यु के दिन भी उन्होंने एक ऑपरेशन किया, जो उनके समर्पण का प्रमाण है।
सामाजिक सरोकारों की ध्वजवाहिका
कदम्बिनी गांगुली केवल एक डॉक्टर ही नहीं थीं, बल्कि सामाजिक सरोकारों की भी ध्वजवाहिका थीं। वह 1889 में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के पांचवें अधिवेशन में महिला प्रतिनिधि के रूप में शामिल हुईं। बंगाल विभाजन के बाद, उन्होंने कलकत्ता में 1906 के महिला सम्मेलन का आयोजन किया। कदम्बिनी गांगुली ने महिलाओं को कलकत्ता मेडिकल कॉलेज में प्रवेश दिलाने में भी सफलता प्राप्त की।
कदम्बिनी गांगुली का जीवन कठिनाइयों से भरा हुआ था, लेकिन उन्होंने कभी हार नहीं मानी। उन्होंने शिक्षा और चिकित्सा के क्षेत्र में महिलाओं के अधिकारों के लिए निरंतर संघर्ष किया। उनका जीवन आने वाली पीढ़ियों के लिए एक प्रेरणा स्रोत है।