Karnataka High Court: कर्नाटका हाई कोर्ट ने 2 जनवरी को एक फैसला सुनाया कि "यदि लड़का विवाहित या अविवाहित लड़का बना रहता है, तो लड़की विवाहित या अविवाहित लड़की बनी रहेगी। यदि शादी का कार्य लड़के की स्थिति को नहीं बदलता है, तो शादी का कार्य लड़की की स्थिति को नहीं बदल सकता है और ना ही बदलेगा।
Karnataka High Court: Married Daughter Is Still A Daughter
कर्नाटका हाई कोर्ट ने फैसला सुनाया है की एक शादीशुदा बेटी एक बेटी बनी रहती है जिस तरह से एक शादीशुदा बेटा एक बेटा रहता है। सैनिक कल्याण और पुनर्विवाह विभाग द्वारा जारी दिशानिर्देश को खारिज कर दिया है कि विवाहित लड़कियों को पूर्व रक्षा के बच्चों के लिए आश्रित कार्ड का लाभ उठाने से रोक दिया गया है।
साल 2021 में ऑपरेशन पराक्रम के दौरान खदानों की सफाई करते समय शहीद हुए पूर्व सेना अधिकारी सूबेदार रमेश अखंडता पटेल की बेटी प्रियंका पाटिल द्वारा याचिका दायर करने के बाद यह फैसला आया।
जस्टिस एम नागप्रसन्ना की एकल-न्यायाधीश पीठ ने कहा कि लिंग आधारित भेदभाव "भारत के संविधान के अनुच्छेद 14 का उल्लंघन है", जो समानता की गारंटी देता है। जस्टिस नागप्रसन्ना ने कहा, "मैं पूर्वोक्त दिशानिर्देश में" शादी तक "शब्दों पर प्रहार करता हूं और उनका सत्यानाश करता हूं।"
कर्नाटका हाई कोर्ट का यह निर्णय बहुत ही सराहनीय निर्णय है, क्योंकि यह लैंगिक समानता को बढ़ावा देता है। बेटियों के साथ के बहुत बड़ा अन्याय है कि शादी के बाद बहुत से घर के लोग अपनी ही बेटी को बेटी नहीं मानते लेकिन अपने बेटे को शादी के बाद भी बेटा मानते हैं। आशा है कि कर्नाटका हाई कोर्ट का यह फैसला पूरे देश में गहरा इंपैक्ट छोड़ेगा। आखिर आपकी क्या राय है कर्नाटका हाई कोर्ट के इस फैसले के ऊपर हमें कमेंट में जरूर बताइएगा?