माँ के सपनों की सवारी: जानिए 93,000 KM की अनोखी तीर्थयात्रा के बारे में

दक्षिणामूर्ति कृष्ण कुमार ने अपनी 74 वर्षीय माँ के साथ बजाज चेतक स्कूटर पर 93,000 किमी की तीर्थयात्रा की। जानिए कैसे एक बेटे ने माँ की इच्छा पूरी करने के लिए नौकरी छोड़ी और 'आधुनिक श्रवण कुमार' बन गया।

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Vaishali Garg
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माँ के सपनों की सवारी: 93,000 KM की अनोखी तीर्थयात्रा

Photograph Credit: ScoopWhoop, Daily Excelsior

भारत में बच्चों को बचपन से ही सिखाया जाता है कि बड़े होने पर उन्हें अपने माता-पिता की देखभाल करनी चाहिए, जैसे उन्होंने बचपन में हमारी परवरिश की। माता-पिता हमारे लिए अनेक त्याग करते हैं, और हमारा कर्तव्य है कि हम उन्हें एक सुखद और संतोषजनक जीवन दें। इस कर्तव्य को निभाने के लिए किसी भव्य साधन की आवश्यकता नहीं होती, बल्कि इच्छाशक्ति और समर्पण सबसे महत्वपूर्ण होते हैं। इसी भावना को साकार कर रहे हैं कर्नाटक के 45 वर्षीय दक्षिणामूर्ति कृष्ण कुमार, जो अपनी 74 वर्षीय माँ चूड़ारत्ना को एक साधारण बजाज चेतक स्कूटर पर पूरे दक्षिण एशिया में तीर्थयात्रा करवा रहे हैं।

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माँ के सपनों की सवारी: 93,000 KM की अनोखी तीर्थयात्रा

माँ की इच्छा पूरी करने के लिए छोड़ी नौकरी

दक्षिणामूर्ति कृष्ण कुमार एक सॉफ्टवेयर इंजीनियर के रूप में 13 वर्षों तक काम कर चुके थे, लेकिन 2018 में उन्होंने अपनी कॉर्पोरेट नौकरी छोड़ दी। इसका कारण था उनकी माँ की पूरी ज़िंदगी परिवार को समर्पित कर देना और कभी घर से बाहर न निकल पाना। 2015 में पिता के निधन के बाद उनकी माँ और भी अकेली हो गईं। इसी अकेलेपन को दूर करने और उनकी वर्षों पुरानी इच्छा पूरी करने के लिए कृष्ण कुमार ने 'मातृ सेवा संकल्प यात्रा' शुरू की।

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उन्होंने 2001 मॉडल बजाज चेतक स्कूटर पर अपनी माँ को देश के कोने-कोने के तीर्थ स्थलों के दर्शन करवाने का संकल्प लिया। इस यात्रा के दौरान उन्होंने केरल से अरुणाचल प्रदेश और तमिलनाडु से उत्तर प्रदेश तक की यात्रा की। इतना ही नहीं, यह माँ-बेटे की जोड़ी नेपाल, म्यांमार और भूटान तक भी पहुँच चुकी है।

'आधुनिक श्रवण कुमार' की यात्रा

भारतीय पौराणिक कथाओं में श्रवण कुमार की कहानी प्रसिद्ध है, जिन्होंने अपने अंधे माता-पिता को कांवर में बिठाकर तीर्थयात्रा करवाई थी। आज की दुनिया में दक्षिणामूर्ति कृष्ण कुमार को भी 'आधुनिक श्रवण कुमार' का नाम दिया गया है, क्योंकि वे अपनी माँ की हर इच्छा पूरी करने के लिए पूरी दुनिया घूमने को तैयार हैं।

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हालांकि, यह यात्रा इतनी आसान नहीं थी। 2020 में COVID-19 महामारी के दौरान, माँ-बेटे की यह जोड़ी भूटान सीमा पर लगभग 50 दिनों तक फँसी रही। लेकिन उनका संकल्प अटूट था। उनकी निष्ठा और समर्पण ने लोगों को इतना प्रभावित किया कि मशहूर भारतीय उद्योगपति आनंद महिंद्रा ने उन्हें महिंद्रा KUV 100 NXT कार गिफ्ट की, जिसकी क़ीमत लगभग ₹9 लाख थी।

हालांकि, इस उपहार के बावजूद कृष्ण कुमार अपनी यात्रा अपने पुराने बजाज चेतक स्कूटर पर ही जारी रखना चाहते थे, क्योंकि उनके लिए इस स्कूटर का भावनात्मक महत्व अधिक था।

अपने खर्चे पर कर रहे हैं यात्रा

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कृष्ण कुमार ने तय किया है कि वे किसी से कोई आर्थिक मदद या दान नहीं लेंगे। वे अपनी यात्रा का पूरा खर्च खुद उठाते हैं। हालाँकि, यात्रा के दौरान जब किसी तीर्थ स्थल पर आश्रम में रहने की जगह नहीं मिलती, तो लोग उन्हें अपने घर ठहरने के लिए आमंत्रित करते हैं।

10 मार्च 2025 को, माँ-बेटे की यह जोड़ी आंध्र प्रदेश के विशाखापट्टनम पहुँची। उनकी यह अनोखी यात्रा सिर्फ एक तीर्थयात्रा ही नहीं बल्कि बच्चों के लिए एक प्रेरणा भी है कि वे अपने माता-पिता का सम्मान करें और उनकी इच्छाओं को पूरा करने का प्रयास करें।

दक्षिणामूर्ति कृष्ण कुमार की यात्रा यह संदेश देती है कि माता-पिता की सेवा किसी भी बड़े काम से बढ़कर है। एक साधारण स्कूटर पर 93,000 किलोमीटर की यह यात्रा न सिर्फ उनके माँ के सपनों को साकार कर रही है, बल्कि यह पूरे समाज के लिए एक प्रेरणादायक मिसाल बन चुकी है।

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क्या आपने भी कभी अपने माता-पिता की कोई अधूरी इच्छा पूरी करने के बारे में सोचा है?

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