ऐसा माना जाता है कि सावन का महीना भगवान शिव को बहुत प्रिय है। वह इस महीने में अपने किसी भी भक्त से बहुत जल्दी प्रसन्न हो जाते हैं। इसलिए लोग सावन के महीने में उनकी पूजा आराधना करके उन्हें प्रसन्न करने की कोशिश करते हैं ताकि उन्हें अपना मन वांछित फल मिल सके।
हर किसी की कुछ इच्छाएं होती हैं जिन की पूर्ति की कामना वह ईश्वर से करता है। सावन के महीने को लोग अपनी इच्छाओं को पूरा करने का शुभ अवसर समझते है। सावन का पूरा महीना बहुत पवित्र होता है लेकिन सोमवार का दिन अत्यधिक महत्वपूर्ण होता है। इस दिन लोग व्रत रखकर या शिवजी की पूजा आराधना करके उन्हें प्रसन्न करने की कोशिश करते हैं ताकि शिवजी उनकी मनोकामना पूरी कर दें।
क्यों रखा जाता है सावन सोमवार का व्रत?
ऐसा कहा जाता है कि प्राचीन समय में इस धरती पर भगवान रहा करते थे। माना जाता है कि जब एक बार भगवान शिव की पहली पत्नी सती ने उन्हें अपने पिता के घर में अपमानित होते देखा तो वह यह सह ना पाई और क्रोध से आग बबूला हो गई। इसलिए उन्होंने राजा दक्ष के यज्ञ कुंड में कूद कर अपनी जान दे दी।
इसके बाद उनका अगला जन्म हिमालय की पुत्री पार्वती के रूप में हुआ। पार्वती ने शिव को पाने के लिए और उन्हें अपना पति बनाने के लिए बहुत कठोर तप किया। ऐसा बोला जाता है कि यह सावन का महीना ही था जब पार्वती के कठोर तप से प्रसन्न होकर शिवजी उनके सामने प्रकट हुए।
उन्होने पार्वती को अपनी पत्नी के रूप में स्वीकार किया और बाद में शादी कर ली। इस वजह से इस पूरे महीने को शिवजी और पार्वती जी का प्रिय महीना मानकर उन्हें अर्पित कर दिया गया। हफ्ते का हर दिन किसी देवी या देवता को समर्पित होता है। सोमवार का दिन शिवजी और पार्वती जी को समर्पित होता है इसलिए सावन के महीने का सोमवार और भी ज्यादा खास हो जाता है।
सोमवार व्रत का महत्व
जो लोग भगवान में बहुत श्रद्धा रखते हैं और अपनी सभी इच्छाओं की पूर्ति की कामना भी भगवान से करते हैं उनके लिए यह काफी खास है। क्योंकि सावन का सोमवार शिव जी का प्रिय है और इस दिन व्रत रखकर उन्हें प्रसन्न करना बहुत आसान हो जाता है। यह व्रत रखने से आपकी जो भी मनोकामना होगी वह पूरी हो जाती है।
सुहागन महिलाओं को शिव जी का आशीर्वाद मिलता है कि उनकी पति की उम्र लंबी हो और वह हमेशा सुहागन रहे। जो कन्या कुंवारी होती हैं उन्हें मनचाहा वर प्राप्त होता है।