Advertisment

समाज बोला ‘शादी कर लो’, लेकिन माता-पिता ने बनाया डॉक्टर

शीतल गुप्ता की प्रेरणादायक कहानी, कैसे माँ की बीमारी ने उन्हें डॉक्टर बनने के लिए प्रेरित किया। समाज के विरोध और आर्थिक चुनौतियों के बावजूद माता-पिता के समर्थन से उन्होंने सफलता पाई।

author-image
Vaishali Garg
New Update
Sheetal Gupta

शीतल गुप्ता ने ‘Shethepeople’ के साथ बातचीत में बताया कि कैसे उनकी माँ को अस्थमा होने के कारण उन्हें डॉक्टर बनने की प्रेरणा मिली। अब 25 साल की शीतल, जो पोस्ट ग्रेजुएशन की तैयारी कर रही हैं, एक कार्डियोलॉजिस्ट बनना चाहती हैं।

Advertisment

समाज बोला ‘शादी कर लो’, लेकिन माता-पिता ने बनाया डॉक्टर

समाज का दबाव और माता-पिता का सहारा

“मैंने बचपन से ही देखा कि मेरी माँ हर रात अस्थमा से जूझती हैं। वो रोती थीं, ‘मैं सांस नहीं ले पा रही हूं।’ हम घबरा जाते थे और मदद की तलाश करते थे, लेकिन रात में कोई डॉक्टर नहीं मिलता था। तभी मैंने डॉक्टर बनने का फैसला किया।

Advertisment

ऐसे परिवार से आना जहां लड़कियों की राय की कोई कदर नहीं होती, मेरे लिए खुद के लिए खड़े होना मुश्किल था। रिश्तेदार कहते थे, ‘लड़की को इतना क्यों पढ़ाना है।’ हम पांच बहनें हैं, मैं चौथी हूं। मेरी बड़ी बहन की शादी 20 साल की उम्र में हो गई थी। उन्हें पढ़ाई करने का मौका नहीं मिला।

इसलिए पापा से कहना बहुत मुश्किल था कि मैं डॉक्टर बनना चाहती हूं। मैं सिर्फ मेहनत करके अच्छे नंबर ला सकती थी। पहली बार NEET क्लियर नहीं कर पाई।

लोग कहते थे, ‘इसमें समय क्यों बर्बाद कर रही हो? अब शादी कर लो।’ लेकिन मेरे माता-पिता हमेशा सपोर्टिव रहे, और दूसरे साल NEET क्लियर कर लिया। सरकारी कॉलेज नहीं मिल पाया, लेकिन पापा ने कहा, ‘तुम पढ़ाई करो, पैसे की मैं देख लूंगा।’

Advertisment

मेडिकल कॉलेज शुरू किया तो पता चला कि पापा ने मुझसे बिना बताए मुंबई की सारी प्रॉपर्टी बेच दी है। मैं बहुत दुखी हुई कि उन्होंने अपनी पूरी जिंदगी की कमाई मुझ पर खर्च कर दी, लेकिन इससे मुझे और मेहनत करने की प्रेरणा मिली।

आखिरकार, 2023 में मैं डॉक्टर बन गई और मेरे माता-पिता बहुत खुश हुए। जो लोग पहले कहते थे, ‘तुम्हारी शादी नहीं होगी, शादी के बाद अपना क्लीनिक नहीं खोल पाओगी’, वो अब दवा के लिए आते हैं। यही है शिक्षा और मेहनत की ताकत।

मैं अभी 25 साल की हूं और पोस्ट ग्रेजुएशन की तैयारी कर रही हूं। मैं कार्डियोलॉजिस्ट बनना चाहती हूं। जो भी अपने जीवन में कुछ हासिल करना चाहता है, खुद पर विश्वास करें और डरने की जरूरत नहीं है। याद रखें, नियमों का पालन करने वाली महिलाएं इतिहास नहीं रचती हैं, इसलिए कुछ नियम तोड़ें, खासकर वो जो आपको सीमित करते हैं!”

Advertisment

शीतल गुप्ता की कहानी एक प्रेरणा है, जो दिखाती है कि समाज के दबावों के बावजूद, दृढ़ इच्छाशक्ति और परिवार के समर्थन से कोई भी सपना पूरा कर सकता है।

Advertisment