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भारतीय महिला क्रिकेट टीम की स्टार खिलाड़ी स्मृति मंधाना ने एक बार फिर साबित कर दिया है कि महिलाएं अब क्रिकेट मैदान की ही नहीं पुरुष प्रधान समाज की बनाई सीमाओं को भी पार करने में सक्षम हैं। जी हां, हाल ही में उन्होंने महिला वनडे इंटरनेशनल(ODI) मैच में केवल 50 बॉल्स पर सेंचुरी मारकर मेन्स क्रिकेट स्टार विराट कोहली का 52 बॉल्स का रिकॉर्ड ब्रेक किया हैं। क्रिकेट वर्ल्ड में ये अचीवमेंट केवल उनके करियर के लिए ही नहीं बल्कि पूरे महिला क्रिकेट टीम के लिए गर्व का पल हैं।
Smriti Mandhana ने 50 गेंदों में ODI सेंचुरी से तोड़ा Virat Kohli का रिकॉर्ड, जानिए उनका अब तक का सफ़र
1. अपने नाम किए रिकॉर्ड्स
स्मृति वनडे में सबसे तेज शतक लगाने वाली भारतीय महिला बन गई है। मंधाना महिला वनडे में ऐसी पहली खिलाड़ी बन गई हैं, जिन्होंने लगातार दो अलग-अलग सालों में 4–4 शतक लगाए। ये उपलब्धि उन्होंने 2024 और 2025 दोनों सालों में हासिल की। साथ ही महिला वनडे में किसी एक देश के ख़िलाफ़ शतक लगाने वाली खिलाड़ियों की लिस्ट में उनका नाम दूसरे नंबर पर हैं।
2. क्रिकेट किंग कोहली का रिकॉर्ड ब्रेक
गौर करने वाली बात है कि मंधाना ने क्रिकेट के सुपरस्टार विराट कोहली का भी रिकॉर्ड ब्रेक किया है। स्मृति ने सिर्फ 50 गेंदों में शतक जमाकर विराट कोहली का 52 गेंदों का रिकॉर्ड तोड़ा। 2013 में कोहली ने ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ ये उपलब्धि बनाई थी। जिसे स्मृति ने अपने नाम कर लिया है।
3. सफ़र की शुरुआत
18 जुलाई 1996 को जन्मी स्मृति मंधाना का सफ़र बहुत रोमांचक रहा है। उनका जन्म मुंबई में हुआ था। बच्चों में वो अपने भाई के साथ क्रिकेट खेलती थीं और यही से उनकी क्रिकेट जर्नी शुरू हुई। उनका बैटिंग स्टाइल सबसे अलग था। स्मृति के पिता और भाई दोनों हमेशा क्रिकेट से जुड़े रहे, जिससे स्मृति को बचपन से उनका सपोर्ट मिलने लगा।
4. क्रिकेट में एंट्री
11 साल की छोटी सी उम्र से उन्होंने महाराष्ट्र अंडर-15 क्रिकेट टीम में खेलना शुरू कर दिया था। अपनी मेहनत और लगन से उन्होंने 15 साल की उम्र में अंडर-19 टीम में अपनी जगह बना ली। और यही से शुरू हुआ उनका क्रिकेट का सफ़र। घरेलू क्रिकेट में डबल सेंचुरी जड़कर वो पहली बार चर्चा में आई थी।
5. नई पीढ़ी के लिए इंस्पिरेशन
स्मृति मंधाना केवल क्रिकेट वर्ल्ड के लिए ही नहीं बल्कि सभी महिलाओं के लिए एक रोल मॉडल हैं। स्मृति ने अपनी उपलब्धियों से हमेशा दिखाया है कि महिलाएँ अगर ठान ले तो कुछ भी असंभव नहीं हैं। फिर चाहे वो किसी भी फील्ड में हो।