हम कितना भी कह ले कि समाज औरतों के लिए बदल चुका है या फिर औरतों के उनके हक़ मिलने लगे है लेकिन आज भी ऐसी खबरें आती है जो औरतों की इस समाज में सुरक्षा, सम्मान और आज़ादी पर सवाल खड़ा करती है।
Society And Women: क्यों आज भी महिलाएँ पूरी तरह से आज़ाद नहीं है?
अभी कुछ दिन पहले बिलकस बानो के दोषियों को रिहा कर दिया गया ईरान में औरतों को सिर्फ़हिजाब ना पहनने पर गरिफ़तर कर लिया फिर उनको मारा और लड़की कोमा में चली बाद में उसकी मौत हो गई अभी तक उसकी मौत का कारण नहीं पता चल सका।आज भी औरतों को आज़ादी है? क्या आज भी औरतों अपनी मन मर्ज़ी से कपड़े पहन सकती है? नौकरी कर सकती है? इन सब का जवाब है नहीं।
आज भी औरतें को कभी परिवार, समाज, सरकार और कभी धर्म के कट्टरपंथी लोग यह सब लोग औरतों पर किसी न किसी तरीक़े से रोक लगा देते है। औरत आज भी अपनी ज़िंदगी अपने तरीक़े से नही जी सकती।
क्यों औरत को उसकी पसंद के कपड़े नहीं पहनने दिए जाते?
औरत को आज भी उसकी पसंद के कपड़े नहीं पहनने दिए जाते उसे हमेशा ही कभी धर्म, कभी परिवार के इज़्ज़त के कारण कपड़े पहनने से रोकि दिया जाता है। अगर वह थोड़े छोटे कपड़े पहन ले तो वह चरित्रहीन हो जानी जाती है अगर वह भारतीय लिवाज पहन ले तो लोग उसे कहते यह तो ज़रा भी मॉडर्न नहीं है कितनी ग्वार है पैर-पैर पर लोग उसे जज करने के लिए बैठे हैं।
बहुत सी महिलाओं को आज भी पढ़ने नहीं दिया जाता
बहुत सी महिलाएँ आज भी पढ़ नहीं पाती क्यूँकि समाज उन्हें पढ़ने दिया जाता क्योंकि लोग सोचते है करना तो घर का काम है पढ़ कर क्या करेंगी।आगे जाकर तो इसकी शादी ही करनी है तो पढ़ कर क्या फ़ायदा? वर्ष राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग द्वारा 2018 में जारी रिपोर्ट में कहा गया था कि 15-18 वर्ष आयु वर्ग की लगभग 39.4 प्रतिशत लड़कियाँ स्कूली शिक्षा से वांछित है।
महिलाओं के प्रति नज़रिया बदलने ली ज़रूरत
आज भी हम कभी महिलाओं को उनकी सुरक्षा के नाम पर तों कभी किसी और कारण के कारण आगे बढ़ने नहीं देते।हमें उनको ज़्यादा-ज़्यादा से मौक़े देने चाहिए ताकि वह आगे बढ़ सकें क्योंकि एक औरत को शिक्षत एक पूरा परिवार शिक्षत होता। हम यह ना समझे कि औरत क्या कर सकती? बल्कि हमें यह पूछने की ज़रूरत है कि वह क्या नहीं कर सकती।