गोवा की 21 वर्षीय तनिषा क्रास्टो भारत के उभरते हुए खेल सितारों में से एक हैं। बैडमिंटन की इस युवा प्रतिभा ने अश्विनी पोनप्पा के साथ मिलकर पेरिस ओलंपिक में भारत का प्रतिनिधित्व करने का गौरव हासिल किया है। अप्रैल 2023 से फरवरी 2024 तक लगातार आठ टूर्नामेंट जीतकर तनिषा ने अपनी काबिलियत का लोहा मनवाया। इनमें ऑल इंडिया सीनियर रैंकिंग बैडमिंटन टूर्नामेंट, नांतेस इंटरनेशनल चैलेंज, सीनियर नेशनल बैडमिंटन चैंपियनशिप और बैडमिंटन एशिया टीम चैंपियनशिप जैसे प्रतिष्ठित टूर्नामेंट शामिल हैं। उनके शानदार प्रदर्शन के दम पर उन्होंने पेरिस ओलंपिक 2024 में जगह पक्की की।
Tanisha Crasto: 21 साल की शटलर ने पेरिस ओलंपिक का टिकट पक्का किया
तनिषा क्रास्टो कौन हैं?
2020 टोक्यो ओलंपिक में पीवी सिंधु ने महिला एकल में कांस्य पदक जीतकर इकलौती भारतीय बैडमिंटन खिलाड़ी के रूप में पदक जीता था। लेकिन इस साल सभी की निगाहें महिला युगल में तनिषा पर टिकी हैं। पेरिस ओलंपिक 2024 में भारत के 117 सदस्यीय दल में प्रमुख चेहरों में से एक तनिषा का सफर संघर्षों और त्यागों से भरा रहा है।
तनिषा के पिता क्लिफर्ड क्रास्टो ने अपनी 15 साल की बेटी को हैदराबाद की पुल्लेला गोपीचंद अकादमी में प्रशिक्षण के लिए भेजा। उनके लिए यह एक कठिन निर्णय था क्योंकि तनिषा का जन्म और पालन-पोषण दुबई में हुआ था। लेकिन तनिषा ने अपनी मेहनत और लगन से सारे संघर्षों को पीछे छोड़ते हुए पेरिस ओलंपिक के लिए क्वालीफाई किया।
क्लिफर्ड क्रास्टो ने कहा, "मैंने उन्हें उनके जन्मदिन पर भारत ले गया। यह एक बहुत ही साहसी फैसला था, क्योंकि हम दोनों के लिए अलग देश में उन्हें अकेला छोड़ना भावनात्मक रूप से कठिन था। लेकिन हम जानते थे कि उन्होंने सही रास्ता चुना है और हमने उनका समर्थन किया। हम इस फैसले से खुश हैं और जहां वे अब पहुंची हैं, उससे भी खुश हैं।"
अब, तनिषा अश्विनी पोनप्पा के साथ जोड़ी बना रही हैं। दोनों ने 2022 में हैदराबाद में एक एशियाई भोजन के दौरान साथ खेलने का फैसला किया। वर्तमान में विश्व रैंकिंग में 19वें स्थान पर काबिज इस जोड़ी की खेल शैली एक-दूसरे को पूरक करती है।
संघर्षों से सफलता की कहानी
पेरिस ओलंपिक में भारत के 117 सदस्यीय दल में प्रमुख नामों में से एक तनिषा के सफर में उनके और उनके माता-पिता दोनों ने बड़े त्याग किए। छोटी उम्र से ही प्रतिभाशाली तनिषा ने खाड़ी सहयोग परिषद (जीसीसी) देशों में अपना नाम बनाया।
तनिषा ने शुरुआत में बहरीन का प्रतिनिधित्व किया और 2016 बहरीन इंटरनेशनल चैलेंज में महिला युगल का खिताब जीता। महज 14 साल की उम्र में वह यूएई ओपन में सबसे कम उम्र की एकल चैंपियन बनीं। 2017 तक, उन्होंने भारत में गोवा के लिए भी प्रतिस्पर्धा शुरू कर दी और जूनियर और सीनियर राष्ट्रीय टूर्नामेंटों में कई खिताब जीते। हालांकि, उनके पिता को अपनी नौकरी छोड़नी पड़ी ताकि वह उनके अधिकांश मैचों में उनके साथ रह सकें।
कई कठिनाइयों के बावजूद, तनिषा की दृढ़ता और दृढ़ संकल्प ने उन्हें खेल में नई ऊंचाइयों तक पहुंचाया। तनिषा की नजर ओलंपिक की जीत पर है और क्लिफर्ड और उनका परिवार अपनी बेटी का उत्साह बढ़ाने के लिए पेरिस जाने के लिए तैयार हैं।