'अंतिम' नाम की इस लड़की को उसके माता-पिता चाहते थे कि वो उनकी आखिरी संतान हो। लेकिन आज ये 'अंतिम' ही भारत के लिए ओलंपिक में दमखम दिखाने उतरी है। हरियाणा के भगाना गांव की अंतिम पंघाल की कहानी बेहद प्रेरणादायक है।
अंतिम से अव्वल: जानिए कुश्ती की नई सनसनी अंतिम पंघाल की प्रेरणादायक कहानी
अंतिम पंघाल कौन हैं?
2004 में जन्मी अंतिम को उसके माता-पिता रामनिवास पंघाल और कृष्णा कुमारी ने अंतिम नाम दिया था, उम्मीद थी कि वो आखिरी संतान होगी और उसके बाद बेटा पैदा होगा। ये उस समय के हरियाणा की सोच को दर्शाता है, जहां लड़कियों को बोझ समझा जाता था। लेकिन उनकी बड़ी बहन सरिता, जो कबड्डी कोच हैं, के प्रभाव से अंतिम की रुचि कुश्ती में बढ़ी। धीरे-धीरे परिवार का पूरा समर्थन मिला और उन्होंने हिसार के चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय में कड़ी मेहनत शुरू की।
अंतिम ने बहुत कम उम्र में ही कमाल की उपलब्धियां हासिल कीं। वो भारत की पहली यू-20 विश्व कुश्ती चैंपियन बनीं और अगले साल भी ये खिताब बरकरार रखा। 2023 में उन्होंने एशियन कुश्ती चैंपियनशिप में रजत पदक जीता। उन्हें 2023 में अर्जुन पुरस्कार भी मिला और वो दो बार की जूनियर विश्व चैंपियन और 2023 एशियाई खेलों की कांस्य पदक विजेता हैं।
ओलंपिक की राह पर
अंतिम की लगन ने उन्हें पेरिस ओलंपिक 2024 में भारत का प्रतिनिधित्व करने का मौका दिया। वो 53 किलो वर्ग में उतरेंगी। उनके परिवार, खासकर बड़ी बहन सरिता का पूरा साथ है। विनेश फोगाट से कॉमनवेल्थ गेम्स के लिए क्वालीफाई न कर पाना एक झटका था, लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी। विनेश के वजन वर्ग बदलने से अंतिम के लिए रास्ता साफ हुआ।
बदलाव की मिसाल
अंतिम की कहानी हरियाणा में बदलते परिवेश की मिसाल है। एक समय लड़कियों को बोझ समझने वाला हरियाणा अब बेटियों को सम्मान दे रहा है। अंतिम के पिता रामनिवास मानते हैं कि उनकी बेटी ने परिवार और गांव का नाम रोशन किया है।
दुनिया की चुनौती
पेरिस में अंतिम का मुकाबला जापान की अजेय पहलवान अकारी फुजिनामी जैसी खिलाड़ियों से होगा। लेकिन कोच भगत सिंह का कहना है कि अंतिम में हार से सीखने की क्षमता है और वो किसी से नहीं डरती।अंतिम सिर्फ खुद के लिए नहीं, बल्कि उन लाखों लड़कियों के लिए प्रेरणा हैं जो बड़े सपने देखती हैं।