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25 साल के सफर में सव्यसाची: गोवा में वेटर से लेकर ग्लोबल फैशन आइकॉन बनने तक

जानिए सब्यसाची मुखर्जी की प्रेरणादायक यात्रा, जिन्होंने वित्तीय कठिनाइयों को पार करते हुए भारत के सबसे प्रसिद्ध लग्जरी फैशन डिज़ाइनरों में से एक बनने तक का सफर तय किया।

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Vaishali Garg
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25 Years of Sabyasachi Journey: सव्यसाची मुखर्जी का नाम आज फैशन की दुनिया में किसी पहचान से कम नहीं है। उनकी डिज़ाइन्स रनवे पर राज करती हैं, उनकी लोकप्रियता दुनियाभर में फैली है, और उनका नाम विवादों में भी अक्सर सुनने को मिलता है। लेकिन इन सबके पीछे एक संघर्ष, सहनशीलता और दृढ़ संकल्प की कहानी छिपी हुई है। इस साल सव्यसाची ब्रांड ने अपने 25 वर्षों का सफर पूरा किया है। आइए जानते हैं कि किस तरह सव्यसाची ने अपनी मेहनत से दुनिया भर में नाम कमाया।

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25 साल के सफर में सव्यसाची: गोवा में वेटर से लेकर ग्लोबल फैशन आइकॉन बनने तक

संघर्ष भरी शुरुआत

सव्यसाची की कहानी एक साधारण मध्यवर्गीय परिवार से शुरू होती है। उनके जीवन ने तब एक कठिन मोड़ लिया, जब वह मात्र 15 वर्ष के थे। उनके पिता एक ऊन मिल में काम करते थे, लेकिन एक दिन उनकी नौकरी चली गई, जिससे परिवार को वित्तीय समस्याओं का सामना करना पड़ा। इस कठिन समय में, सव्यसाची ने अपनी मदद के लिए खुद ही रास्ता ढूंढना शुरू किया। उन्होंने गोवा में वेटर और डिशवॉशर के तौर पर काम किया, ताकि वह अपनी पढ़ाई और सपनों को पूरा कर सकें।

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फैशन के प्रति जुनून

हालांकि जीवन में बहुत कठिनाइयाँ आईं, लेकिन उनका फैशन के प्रति प्यार कभी कम नहीं हुआ। वह हमेशा से चाहते थे कि वह नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ फैशन टेक्नोलॉजी (NIFT) में पढ़ाई करें, लेकिन उनके माता-पिता ने इस पर खर्च करने से इंकार कर दिया। फिर भी, उन्होंने हार नहीं मानी और अपनी किताबें बेचकर फॉर्म भरने के पैसे जुटाए। उन्होंने सफलता से NIFT में प्रवेश लिया और 1999 में अपनी पढ़ाई पूरी की।

ब्रांड की शुरुआत

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सव्यसाची ने ₹20,000 का कर्ज अपनी बहन से लेकर फैशन की दुनिया में कदम रखा। उन्होंने अपने ब्रांड की शुरुआत की, जिसमें सिर्फ तीन कर्मचारी थे और एक छोटा सा कार्यस्थल था। उनकी पहली बड़ी सफलता 2002 में आई, जब उन्होंने अपने पहले कलेक्शन "काशगर बाजार" को Lakmé Fashion Week में पेश किया। इस कलेक्शन ने उन्हें फैशन जगत में पहचान दिलाई और उनके काम की सराहना की गई।

ग्लोबल पहचान और सफलता

2003 में उनका "कोरा" कलेक्शन, जिसमें हाथ से बुने हुए कपड़े और intricate कंथा कढ़ाई थी, ने और भी सराहना प्राप्त की। इसके बाद उनकी अंतरराष्ट्रीय पहचान बनी और उन्होंने सिंगापुर के Mercedes-Benz New Asia Fashion Week में ग्रैंड विनर अवार्ड जीता। उन्होंने पेरिस में जे़न पॉल गॉल्टियर और अज़्ज़ेदिन आलैया जैसे दिग्गज डिजाइनरों से वर्कशॉप्स में प्रशिक्षण लिया।

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2004 में, सव्यसाची वह पहले भारतीय डिज़ाइनर बने जिन्होंने मिलान फैशन वीक में शो प्रस्तुत किया। इसने उनके वैश्विक कद को और बढ़ा दिया, और जल्द ही उनका काम न्यू यॉर्क, लंदन और मियामी जैसे बड़े फैशन वीक में भी दिखने लगा। सव्यसाची के डिज़ाइन्स ने भारतीय धरोहर की सुंदरता को दुनिया भर में प्रस्तुत किया और उन्होंने कभी भी आलोचनाओं के बावजूद अपने दृष्टिकोण को नहीं छोड़ा।

आज का सव्यसाची

आज सव्यसाची मुखर्जी का ब्रांड भारत का एक प्रमुख लक्ज़री फैशन ब्रांड बन चुका है। उन्होंने जिस संघर्ष और दृढ़ संकल्प के साथ अपने ब्रांड को खड़ा किया, वह लाखों लोगों के लिए प्रेरणा है। सव्यसाची की यात्रा एक उदाहरण है कि अगर मेहनत और इच्छाशक्ति मजबूत हो, तो कोई भी मुश्किल रास्ता तय किया जा सकता है।

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सव्यसाची के 25 वर्षों की यात्रा ने यह साबित कर दिया कि अगर किसी के पास जुनून और सही दिशा हो, तो वह किसी भी मुश्किल को पार कर सकता है।

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