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Begum Shahjahan: The Eminent Ruler and Literary Icon of Bhopal: बेगम शाहजहां भोपाल की प्रख्यात शासिका और साहित्यकार का जन्म 29 जुलाई 1838 को भोपाल के पास इस्लामगढ़ में हुआ था। वह सिकंदर बेगम और जहाँगीर मोहम्मद खान की इकलौती संतान थीं। मात्र छह साल की उम्र में उन्हें शासक के रूप में पहचान मिल गई थी। 1844 से 1860 तक उन्होंने अपनी माँ के साथ रीजेंट के रूप में शासन किया। 1868 में अपनी माँ के देहांत के बाद, वह आधिकारिक रूप से भोपाल की नवाब बनीं।
बेगम शाहजहां: भोपाल की प्रख्यात शासिका और साहित्यकार
शासिका के रूप में उपलब्धियाँ
बेगम शाहजहां का शासनकाल सुधारों और विकास कार्यों से भरा हुआ था। उन्होंने हिंदू समुदाय के संरक्षण के लिए विशेष कानून बनाए और हिंदू संपत्ति न्यास की स्थापना की। मक्का जाने वाले हज यात्रियों के लिए कमरों का भी इंतजाम किया। प्लेग के बाद पहली जनगणना करवाई और अफीम की खेती से सरकारी खजाने को भरपूर किया। इसके साथ ही उन्होंने अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय की स्थापना में भी महत्वपूर्ण योगदान दिया।
साहित्यिक योगदान
बेगम शाहजहां उर्दू की एक मशहूर लेखिका भी थीं। उन्होंने "गौहर-ए-इकबाल" और "इफत-उल-मुस्लिमात" जैसी कई किताबें लिखीं। "इफत-उल-मुस्लिमात" में उन्होंने परदे और हिजाब की परंपराओं के बारे में यूरोप, एशिया और मिस्र के रीति-रिवाजों की तुलना की है, जिससे उनकी विद्वता और गहन अध्ययन का पता चलता है।
निजी जीवन के संघर्ष
अपने शानदार शासन के बावजूद बेगम शाहजहां ने निजी जीवन में कई दुखों का सामना किया। उनके दो पतियों और दो नातिनों की मृत्यु ने उन्हें गहरे दुख में डाल दिया। इसके बावजूद उन्होंने मजबूत नेतृत्व का परिचय दिया और अपने कर्तव्यों का पालन किया।
अंत और विरासत
अपने अंतिम वर्षों में भी बेगम शाहजहां ने मजबूती से शासन किया। मुँह के कैंसर से जूझते हुए, 16 जून 1901 को उनका निधन हो गया। अपनी मृत्यु से पहले उन्होंने सार्वजनिक रूप से माफी मांगने का संदेश छोड़ा, जिससे उनकी प्रजा में शोक की लहर दौड़ गई। उनकी मृत्यु ने भोपाल के लोगों को गहरे दुख में डाल दिया और उनकी स्मृतियाँ आज भी जीवित हैं।
बेगम शाहजहां केवल एक महान शासिका थीं, बल्कि एक विदुषी और समाज सुधारक भी थीं। उनके शासनकाल में किए गए सुधार और उनके साहित्यिक योगदान ने उन्हें इतिहास में एक महत्वपूर्ण स्थान दिलाया। उनका जीवन संघर्ष, विद्वता और सेवा का प्रतीक है, जो आज भी हमें प्रेरणा देता है।