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शब्दों की शक्ति: जब मां-बेटी की जोड़ी ने कलम के जरिए लड़ी पीढ़ियों की नाइंसाफी

जानिए कैसे लेखिका डॉ. रक्षंदा जलिल और आलिया वज़ीरी ने Women Writers' Fest में अपने लेखन के जरिए महिलाओं की सुरक्षा और समानता के लिए संघर्ष करते हुए अन्याय को चुनौती दी।

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Vaishali Garg
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How a Mother Daughter Duo Fights Injustice Through Writing: भारत में महिलाओं और लड़कियों के खिलाफ अपराधों की हालिया घटनाओं ने हमें एक बार फिर समाज की उन गहरी समस्याओं का सामना कराया है, जिन्हें नजरअंदाज करना अब संभव नहीं रहा। इन घटनाओं ने यह स्पष्ट किया है कि हम एक ऐसे सिस्टम का हिस्सा हैं, जिसमें न्याय और सुरक्षा की अवधारणाएं अक्सर हकीकत से बहुत दूर होती हैं। लेकिन इन कठिन परिस्थितियों में भी, आशा की एक किरण दिखाने वाली कहानियां और विचार हमें प्रेरित करते हैं। ऐसे में SheThePeople के Women Writers' Fest में, लेखिका डॉ. रक्शंदा जलिल और आलिया वज़ीरी ने वरिष्ठ संपादक भावना बिष्ट के साथ एक प्रेरक बातचीत की, जिसमें उन्होंने चुनौतीपूर्ण समय में उम्मीद बनाए रखने और समाज में महिलाओं की सुरक्षा और समानता पर चर्चा की।

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देखें: कैसे मां-बेटी की ये जोड़ी कलम के ज़रिये पीढ़ियों की अन्यायपूर्ण व्यवस्था से लड़ रही है

नफ़रत से घिरे समाज का आईना

डॉ. जलिल की किताब 'Love In The Time Of Hate' हमारे समाज में व्याप्त नफ़रत, साम्प्रदायिकता और पितृसत्ता को चुनौती देती है। उन्होंने बताया, "हर दिन की सुर्खियाँ हमें सोचने पर मजबूर करती हैं। लेखिका होने के नाते मेरे पास केवल शब्दों की ताकत है, और मैं अपने देश, उसके लोगों से प्रेम को व्यक्त करना चाहती हूं।"

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महिलाओं के शरीर का राजनीतिकरण

हाल की घटनाओं में महिलाओं की सुरक्षा और उनके अधिकारों को लेकर जो बहस छिड़ी है, उसमें आलिया वज़ीरी ने "सुरक्षा" और "सुरक्षा की ज़रूरत" के अंतर को रेखांकित किया। उन्होंने कहा, "महिलाओं की सुरक्षा की बात करना गलत नहीं, लेकिन असल मुद्दा है महिलाओं की स्वतंत्रता और उनके अधिकार।"

लिखित शब्द का सहारा

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जब समाज में उथल-पुथल होती है, तो साहित्य ही वह साधन बनता है जो हमें सहारा देता है। डॉ. जलील का मानना है कि कविता और साहित्यिक रचनाएँ हमेशा कठिन समय में लोगों को हिम्मत देती हैं। उन्होंने कहा, "साहित्य समाज की चिंताओं को शब्द देता है, जिससे बदलाव की शुरुआत हो सकती है।"

बदलाव की उम्मीद

आलिया वज़ीरी ने कहा कि वे अपनी लेखनी के माध्यम से समाज में बदलाव लाने की उम्मीद करती हैं। उनका मानना है कि लेखन से असली बदलाव लाया जा सकता है, भले ही यह प्रक्रिया धीरे-धीरे हो।

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