//hindi/media/media_files/mDYq0LLiivixVGg6QyUA.jpg)
बहुत सी माएँ अपने बच्चो के स्वास्थ्य और आहार को लेकर सजग होती है। अक्सर फ़ास्ट फ़ूड से पीछा छुड़ाने के लिए पैकेज्ड फ़ूड जैसे चिप्स या अलग अलग स्वाद के नमकीन मिलते है। लोग इन्हें ज्यादा सुरक्षित समझते है लेकिन ये तले हुए और स्टार्च के बने होते है जोकि सेहत के लिए सही नही है।
बंद खाद्य सामग्री को लेकर गलत फैमि
इस आहार का एक आसान रास्ता लोगो को टकसालों की बनी हुई चिप्स है। ये सीके हुए होते है और तले हुए नही होते। फैट्स और सुगर से फ्री, ये ऐसी उपभोज्य खाने की चीज़ें हैं जोकि बिना किसी पातक के खाया जा सकता है जैसा कि इनके पैकेट पर लिखा जाता है। हम ऐसी खाद्य चीज़ों पे अंधा विश्वास करलेते है क्योंकि ये फ्राइड है। किंतु हमें इनके पीछे दिए गए पोषण मानचित्र पर ध्यान देना चाहिए क्योंकि ज़रूरी नही की ये सेहत के लिए सही हो।
उदहारण अनुसार
उदाहरण तह टमाटर का स्वाद रखने वाले एक मुल्टीग्रेन चिप्स के अनुसार हर 100 ग्राम के पैकेट में 899 एम जी सोडियम होता है। यू एस फ़ूड और ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन के अनुसार बच्चों और जवानों को 2,300 मिलीग्राम से ज्यादा सोडियम नही लेना चाहिए । इसका मतलब ये है कि इस 100 ग्राम के पैकेट से आपके 39 प्रतिशत सोडियम की कमी पूरी होगयी। इसमें 475 कैलोरीज की ऊर्जा होती है।
घर का बना हुआ खाना सबसे सही क्यों?
बहुत कोशिशों के बावजूद हम ये सारी चीज़े हर बंद खाद्य सामग्री के लिए नही कह सकते। बो सकता है कुछ में अच्छी सामग्री हो और सेहत के लिए अच्छी हो। इन सब को छोड़ के हमें ये देखना चाहिए कि घर का बना हुआ खाना सबसे अच्छा होता है हालांकि व्यस्तता की वजह से हम रोज़ घर में खाना नही बना पाते तभी इस से बचने के लिए पैकेज्ड खाने का इस्तेमाल होता है। अगर इन्हें एक कम मात्रा में खाया जाए तो ये नुकसान नही करेगा।
अगर आप सफर में जाते है तो आपको ये पता चलता है कि आपको बंद खाना ही लेकर जाना पड़ेगा। पर जितना हो सके खाना घर का हो तो ज्यादा सही रहता है किन्तु ये आपके परिस्थिति पे आश्रित है।
स्थानीय सामग्री का उपयोग
काफी बार लोग फैट्स और कैलोरी देखने के चक्कर में शुगर जैसी एहम चीज़ों पर से अपना ध्यान हटा लेते है। यहां तक इन पैकेज्ड खाद्य सामग्री को बनाने के लिए क्या प्रक्रिया अपनाई गई, इसपे काम लोगों का ध्यान जाता है।
मानसी साठे के अनुसार
मानसी साठे जोकि पुणे से एक आहार विशेषज्ञ हैं, उनके अनुसार लोगों को स्थानीय सामग्री जैसे खाखरा और जोवर कि बने हुए पापड़ लेने चाहिए । उनके अनुसार ये चीज़े ज्यादा सेहतमंद होते है। काफी लोगो को बड़े बड़े ब्रांड्स पर अंधा विश्वास है पर क्या वो इन्हें बनाने के पीछे के तरीके को समझने में दिलचस्पी नही रखते। उन्हें नही पता कि काफी रसायन और संरक्षकों का इस्तेमाल किया जाता है। औरतों की बनाई गयी सामग्री ज्यादा सस्ती, सेहतमंद होती है। इनका जेवन कम है क्योंकि इनमें कोई संरक्षण का इस्तेमाल नही होता।
इस से पता लगता है कि घर में बने हुए खाने की कोई तुलना नही है, घर में बनाई गई चीज़े ज्यादा सेहतमंद और अच्छा है। हालांकि हम बच्चों को क्या ही रोके जब हम खुद कभी कबार ये सब खा लेते हैं। पर इसका मतलब ये नही की पैकेज्ड खाने को हद से ज़्यादा कहा लिया ये सोचके की ये सेहत के लिए सही है।