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शशि कपूर और जेनिफर केंडल की अमर प्रेम कहानी

बॉलीवुड के दिग्गज अभिनेता शशि कपूर और उनकी पत्नी जेनिफर केंडल की प्यारी सी प्रेम कहानी। उम्र और सांस्कृतिक अंतरों के बावजूद दोनों ने एक-दूसरे के लिए अपना सब कुछ कुर्बान कर दिया।

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Vaishali Garg
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1956 का साल था जब कोलकाता में एक ऐसी प्रेम कहानी की शुरुआत हुई, जो बॉलीवुड के इतिहास में सबसे यादगार बन गई। एक ओर थे युवा और महत्वाकांक्षी अभिनेता शशि कपूर और दूसरी ओर थीं उनके पिता के थिएटर ग्रुप की प्रतिभाशाली अभिनेत्री जेनिफर केंडल। शशि उस समय महज 18 साल के थे, जबकि जेनिफर उनसे चार साल बड़ी थीं। उम्र और सांस्कृतिक मतभेदों के बावजूद शशि को जेनिफर से पहली नजर में ही प्यार हो गया और उन्होंने तय कर लिया कि वो अपनी पूरी ज़िंदगी उनके साथ बिताएंगे।

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शशि कपूर और जेनिफर केंडल की अमर प्रेम कहानी

चुनौतियों से भरा रास्ता

लेकिन इस प्यार की राह आसान नहीं थी। शशि के परिवार को एक विदेशी लड़की से उनकी शादी मंजूर नहीं थी, जबकि जेनिफर के पिता, जो थिएटर जगत की एक बड़ी हस्ती थे, भी इस रिश्ते के खिलाफ थे। उन्हें डर था कि इससे उनकी बेटी का करियर और जीवन प्रभावित होगा। लेकिन शशि और जेनिफर एक-दूसरे के प्यार में इतने पागल थे कि उन्होंने परिवार की नाराज़गी की परवाह किए बिना जेनिफर के पिता के थिएटर ग्रुप छोड़ दिया और साथ रहने का फैसला कर लिया।

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परिवार का साथ और स्वीकृति की लड़ाई

इस मुश्किल घड़ी में जेनिफर की बहन ने उनका साथ दिया, जबकि उनके पिता अभी भी नाराज़ थे। वहीं, शशि के परिवार में उनके भाई शम्मी कपूर और भाभी गीता बाली ने इस जोड़े को बहुत मदद की। उनके समर्थन से आखिरकार शशि के माता-पिता भी राज़ी हो गए। दो साल की ज़िद्द और अपने प्यार का सबूत देने के बाद शशि और जेनिफर ने 1958 में शादी कर ली।

शुरुआती संघर्ष और शशि का करियर ग्राफ

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शादी के शुरुआती साल काफी मुश्किल रहे। शशि बॉलीवुड में अपनी जगह बनाने की कोशिश कर रहे थे, लेकिन उन्हें लगातार असफलताएं मिल रही थीं। पैसे की तंगी ने उन्हें अपनी कार और अन्य कीमती सामान बेचने पर मजबूर कर दिया। लेकिन इन सबके बावजूद उनका प्यार मज़बूत रहा।

आखिरकार, 1965 में आई फिल्म 'जब-जब फूल खिले' ने शशि के करियर को नई ऊंचाइयों पर पहुंचा दिया। फिल्म की सफलता के साथ ही शशि और जेनिफर का थिएटर जगत में भी दबदबा बढ़ने लगा। 1978 में उन्होंने अपने पिता पृथ्वीराज कपूर की याद में पृथ्वी थिएटर की स्थापना की। यह थिएटर मुंबई का एक सांस्कृतिक केंद्र बन गया।

एक दर्दनाक विदाई और अमर प्रेम

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खुशियों के इन पलों के बीच जीवन ने एक करारा झटका दिया। 1980 के दशक की शुरुआत में जेनिफर को कोलोन कैंसर हुआ, जिससे लड़ते-लड़ते वो 1984 में इस दुनिया से चली गईं। जेनिफर की मौत ने शशि को पूरी तरह तोड़ दिया। वो काम में व्यस्त रहने लगे लेकिन कभी इस सदमे से उबर नहीं पाए।

शशि का जेनिफर के लिए प्यार उनकी मौत के बाद भी कायम रहा। उन्होंने दोबारा शादी नहीं की और हमेशा उनकी फोटो साथ रखी। शशि कपूर और जेनिफर केंडल की प्रेम कहानी आज भी बॉलीवुड की सबसे यादगार प्रेम कहानियों में गिनी जाती है।

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