The Real Story Behind The Movie Sector: 2006 में नोएडा के निठारी में एक सड़ी-गली हाथ की खोज ने देश को हिला कर रख दिया। यह मामला एक के बाद एक कई हत्याओं का खुलासा करता गया, जो बाद में निठारी हत्याकांड के नाम से कुख्यात हुआ। इस मामले ने न सिर्फ बर्बर अपराधों को उजागर किया, बल्कि पुलिस व्यवस्था की गंभीर खामियों को भी सामने लाया, जिससे देशभर में आक्रोश फैल गया और यह घटना हमेशा के लिए भारतीय समाज की सामूहिक स्मृति पर गहरा घाव छोड़ गई।
देखिए: फिल्म 'सेक्टर 36' की सच्ची कहानी
शुरुआती खोज और लापता व्यक्तियों का मामला
2005 और 2006 के बीच निठारी इलाके से कई बच्चे और युवतियां रहस्यमय तरीके से गायब हो गई थीं। परिवारों द्वारा बार-बार शिकायत किए जाने के बावजूद, स्थानीय पुलिस ने इसे मामूली घरेलू विवादों या भागने की घटनाओं के रूप में नजरअंदाज कर दिया। लेकिन यह लापरवाही बाद में एक बड़े और भयावह षड्यंत्र का हिस्सा साबित हुई।
मामले में एक महत्वपूर्ण मोड़ तब आया जब एक मृतक का सड़ा हुआ हाथ मोनिंदर सिंह पंधेर के घर के पास एक नाले में पाया गया। पंधेर, जो एक धनी व्यवसायी थे, उनके घर के आसपास मानव अवशेषों की खोज ने इस मामले को और भी खतरनाक बना दिया।
सुरिंदर कोली का काला सच
पंधेर के नौकर सुरिंदर कोली का नाम इन भयानक हत्याओं के मुख्य आरोपी के रूप में सामने आया। कोली ने न केवल इन हत्याओं को कबूल किया, बल्कि उसने बच्चों और युवतियों को अपहरण, यातनाएं और हत्या करने के अपने क्रूर कृत्यों का भी खुलासा किया। उसने यहाँ तक स्वीकार किया कि उसने शवों के साथ यौन दुराचार (नेक्रोफिलिया) और नरभक्षण (कैनिबलिज्म) जैसे घृणित कार्य किए। कोली ने बताया कि वह अपने शिकारों को मिठाई और चॉकलेट का लालच देकर घर बुलाता था और फिर उनके साथ अमानवीय अत्याचार करता था।
जबकि कोली ने हत्याओं की पूरी जिम्मेदारी ली, पंधेर ने कानूनी प्रक्रिया के तहत बड़े आरोपों से खुद को बचा लिया। जांच में हुई खामियों और कानूनी त्रुटियों के चलते पंधेर को मामूली सज़ा मिली, जबकि कोली को बार-बार मौत की सज़ा सुनाई गई।
जांच और विवाद
मामले की गंभीरता को देखते हुए जांच को केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) को सौंप दिया गया। सीबीआई ने पंधेर के घर के आसपास से 19 से अधिक मानव खोपड़ियों और अन्य अवशेषों की खोज की, जिससे यह मामला भारत के सबसे बड़े सामूहिक हत्याकांडों में से एक बन गया।
मीडिया ने पंधेर के घर को 'हाउस ऑफ हॉरर्स' नाम दिया, और देशभर में इस मामले की न्यायिक प्रक्रिया पर नजर रखी गई। जबकि कोली को मौत की सज़ा सुनाई जाती रही, पंधेर को लेकर कानूनी प्रक्रिया धीमी रही, और उसकी कुछ मामलों में बरी होने से देशभर में आक्रोश फैल गया।
बरी होने के बाद भी उठते सवाल
इस मामले में एक और चौंकाने वाला मोड़ तब आया जब 2023 में इलाहाबाद हाई कोर्ट ने सबूतों के अभाव में कोली और पंधेर दोनों को बरी कर दिया। कोली, जिसे 12 मामलों में मौत की सज़ा सुनाई गई थी, को रिहा कर दिया गया, और पंधेर को भी छोड़ने का आदेश दिया गया। इस फैसले ने एक बार फिर न्याय व्यवस्था पर सवाल खड़े कर दिए, खासकर उन मामलों में जहाँ पीड़ित कमजोर और गरीब तबके से आते हैं।
सिस्टम की खामियां और सामाजिक टिप्पणी
इस मामले का सबसे चिंताजनक पहलू स्थानीय पुलिस की लापरवाही थी, जिसने गुमशुदा व्यक्तियों की रिपोर्ट को गंभीरता से नहीं लिया। निठारी हत्याकांड ने यह भी दिखाया कि जब पीड़ित समाज के हाशिये पर होते हैं, तो पुलिस और प्रशासन उनकी आवाज़ को नजरअंदाज कर देते हैं। कई आलोचकों का मानना है कि अगर पीड़ित अमीर तबके से होते, तो पुलिस ने शायद मामले को शुरू से ही गंभीरता से लिया होता।
अंत में उठता बड़ा सवाल
निठारी हत्याकांड भारतीय अपराध इतिहास का सबसे काला अध्याय है। अदालत के फैसले भले ही आए हों, लेकिन इस मामले ने यह दिखा दिया कि हमारे कानून और न्याय व्यवस्था में कितनी खामियां हैं। इस केस ने हमें सतर्क रहने, न्याय की रक्षा करने, और समाज के सबसे कमजोर वर्गों की सु2006 के निठारी हत्याकांड की दिल दहला देने वाली सच्ची घटना पर आधारित फिल्म 'सेक्टर 36' की कहानी। जानें कैसे यह केस भारत के इतिहास का सबसे भयानक आपराधिक मामला बना।रक्षा सुनिश्चित करने की सीख दी है।