शाहरुख खान और उनकी बहन की अनकही कहानी: जब किंग खान ने किया मानसिक स्वास्थ्य पर खुलासा

शाहरुख खान ने अपने माता-पिता को कम उम्र में खो दिया, लेकिन उनकी बहन शहनाज़ ललारुख खान के लिए यह आघात और भी गहरा था। जानिए कैसे शहनाज़ ने इस दर्द का सामना किया और शाहरुख ने हर कदम पर उनका साथ दिया।

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Vaishali Garg
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शाहरुख खान की सफलता की कहानी पूरी दुनिया जानती है, लेकिन उनकी ज़िंदगी का एक भावनात्मक पहलू है जो कम ही लोगों को पता है। ग्लैमर और स्टारडम के पीछे एक ऐसा संघर्ष छिपा है, जिसने उन्हें मजबूत बनाया लेकिन उनकी बहन शहनाज़ ललारुख खान (Shehnaz Lalarukh Khan) को गहरे मानसिक आघात में डाल दिया। अपने माता-पिता को कम उम्र में खोने के बाद, शाहरुख ने अपने ग़म को मेहनत में बदला, लेकिन शहनाज़ के लिए यह सफर आसान नहीं था।

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माता-पिता के जाने के बाद शाहरुख और शहनाज़ का संघर्ष

पिता की मौत और एक गहरा सदमा

1981 में, शाहरुख खान के पिता का निधन गले के कैंसर के कारण हुआ। यह घटना उनके परिवार के लिए एक गहरा झटका थी। शाहरुख ने एक इंटरव्यू में अपने पिता के आखिरी लम्हों को याद करते हुए कहा था "मेरी आखिरी याद मेरे पिता की है, जब वे वनीला आइसक्रीम खा रहे थे। मैं उनका चेहरा नहीं देख पा रहा था। जब अगली सुबह उनका निधन हो गया, मैंने सिर्फ उनके ठंडे पैरों को छुआ।"

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मां की मौत और शहनाज़ का टूट जाना

1991 में, जब परिवार अभी पिता की मौत के दर्द से उबर भी नहीं पाया था, तब शाहरुख की मां को अचानक डायबिटीज़ हो गई। उनकी हालत तेजी से बिगड़ी, और कुछ ही हफ्तों में उन्होंने दम तोड़ दिया। शाहरुख ने उस समय को याद करते हुए कहा " मैं अस्पताल के बाहर प्रार्थना कर रहा था कि कोई चमत्कार हो जाए। मैंने सोचा था कि अगर मैं अपनी मां को पूरी तरह संतुष्ट नहीं होने दूं, तो शायद वे हमें छोड़कर नहीं जाएंगी।" लेकिन ऐसा नहीं हुआ। उनकी मां का जाना शहनाज़ के लिए किसी सदमे से कम नहीं था।

शहनाज़ की मानसिक स्थिति और सालों तक संघर्ष

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शाहरुख ने बताया कि जब उनकी मां का निधन हुआ, तो शहनाज़ ने कोई प्रतिक्रिया नहीं दी। "वह न रोई, न कुछ बोली। बस जमीन पर गिर पड़ी और सिर पर चोट लग गई। उसके बाद दो साल तक उसने कोई भावनात्मक प्रतिक्रिया नहीं दी। वह बस शून्य में देखती रहती थी।" यह स्थिति सिर्फ कुछ समय की नहीं थी, बल्कि सालों तक बनी रही।

DDLJ की शूटिंग के दौरान फिर बिगड़ी हालत

1995 में, जब शाहरुख दिलवाले दुल्हनिया ले जाएंगे की शूटिंग कर रहे थे, तब उनकी बहन की तबीयत फिर से बिगड़ गई। डॉक्टरों ने उनकी हालत को गंभीर बताया और कहा कि वह शायद बच न सके।

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उस समय शाहरुख स्विट्जरलैंड में गाने "तुझे देखा तो ये जाना सनम" की शूटिंग कर रहे थे। उन्होंने अपनी बहन के इलाज के लिए स्विट्जरलैंड में भी मेडिकल सहायता ली।

शाहरुख का अपनी बहन के प्रति प्यार और देखभाल

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आज भी शहनाज़ खान के परिवार का अभिन्न हिस्सा हैं, लेकिन वह हमेशा लाइमलाइट से दूर रहती हैं। शाहरुख ने कभी अपनी बहन को अकेला महसूस नहीं होने दिया और उनकी देखभाल में कोई कसर नहीं छोड़ी।

उन्होंने एक बार कहा था, "मेरी बहन आज भी पिता की मौत के आघात से उबर नहीं पाई है। फिर जब मां भी चली गईं, तो उसके लिए यह दुख और गहरा हो गया।"

शाहरुख खान सिर्फ एक सफल अभिनेता ही नहीं, बल्कि एक जिम्मेदार भाई भी हैं, जिन्होंने हर मुश्किल घड़ी में अपनी बहन का साथ दिया। उनकी यह कहानी हमें दिखाती है कि परिवार से बढ़कर कुछ नहीं होता, और मानसिक स्वास्थ्य के मुद्दों को गंभीरता से लेना कितना ज़रूरी है।

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