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Photograph: (Instagram/drsushmamogri)
Power Of Social Media And Doctor's Appeal Helped Newborn Baby Girl Get Her Family: राजस्थान के उदयपुर में तीसरी बेटी के रूप में जन्मी एक नवजात को परिवार द्वारा छोड़े जाने से बचाया गया, जब एक संवेदनशील डॉक्टर ने सोशल मीडिया पर भावुक अपील की, जिसने लाखों लोगों का दिल छू लिया और समाज के सोचने के तरीके को झकझोर दिया।
सोशल मीडिया की ताकत और एक डॉक्टर की अपील ने नवजात बच्ची को दिलाया उसका परिवार
Hindustan Times की खबर के अनुसार, राजस्थान के उदयपुर जिले में एक दिल को छू लेने वाली घटना ने यह साबित कर दिया कि इंसानियत और सोशल मीडिया की शक्ति मिलकर किसी की किस्मत बदल सकती है। डॉ. सुषमा मोगरी, जो उदयपुर के एक अस्पताल में कार्यरत हैं, उस वक्त बेहद व्यथित हो गईं जब एक मरीज के परिवार ने अपनी नवजात बच्ची को केवल इसलिए छोड़ने का निर्णय लिया क्योंकि वह उनकी तीसरी बेटी थी। परिवार के पुरुष सदस्यों ने बच्ची को अपनाने से इंकार कर दिया और माँ पर दबाव डाला कि वह उसे अस्पताल में ही छोड़ दे।
जब डॉ. मोगरी बार-बार समझाने के बाद भी परिवार को नहीं मना सकीं, तब उन्होंने एक साहसी कदम उठाया। उन्होंने नवजात को गोद में लेकर एक मार्मिक वीडियो रिकॉर्ड किया और उसे सोशल मीडिया पर साझा किया। वीडियो में उन्होंने बताया कि यह बच्ची कल ही जन्मी है, लेकिन उसके पिता ने उसे देखने तक से इनकार कर दिया है क्योंकि वह तीसरी बेटी है। उन्होंने इस मानसिकता की आलोचना करते हुए कहा कि एक ऐसे देश में, जहाँ एक महिला राष्ट्रपति है और जहाँ सुनीता विलियम्स जैसी महिलाएं अंतरिक्ष में जाकर देश का नाम रोशन कर रही हैं, वहां आज भी बेटियों को बोझ समझा जाता है।
वीडियो ने इंटरनेट पर तूफान ला दिया। इसे 35 लाख से अधिक बार देखा गया और देश-विदेश से हज़ारों लोगों ने डॉ. मोगरी से संपर्क कर बच्ची को गोद लेने की इच्छा जताई। इस व्यापक समर्थन ने डॉक्टर को यह मौका दिया कि वे परिवार को लोगों के संदेश और प्रतिक्रियाएं दिखाकर यह समझा सकें कि उनकी बेटी बोझ नहीं, बल्कि एक अनमोल तोहफा है।
परिवार ने अंत में अपनी गलती स्वीकार की और बच्ची को अपनाने का फैसला किया। वे अब उसे अपने घर ले गए हैं और उससे प्यार करने का वादा किया है। डॉ. मोगरी ने कहा कि यह सोशल मीडिया की शक्ति और सामूहिक करुणा का परिणाम है। उन्होंने सभी समर्थकों का धन्यवाद करते हुए यह उम्मीद जताई कि यह घटना समाज में बेटियों के प्रति सोच को बदलने में मदद करेगी।