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Photograph: ((LinkedIn/@Mayankagarwal))
Swiggy Delivery Agent Father Makes Deliveries Keeping His 2-Year-Old Daughter With Him: गुड़गांव में एक दिल छू लेने वाली घटना ने सोशल मीडिया पर हजारों लोगों का ध्यान आकर्षित किया। एक स्विगी डिलीवरी एजेंट, पंकज, अपनी दो साल की बेटी को बाइक पर बिठाकर रोज़ डिलीवरी करता है। चाइल्ड केयर की सुविधा या पारिवारिक सहारा न होने के कारण पंकज को अपनी बेटी को साथ लाना पड़ता है। यह कहानी सिर्फ मजबूरी नहीं, बल्कि जिम्मेदारी, साहस और चुपचाप निभाए जा रहे संघर्ष की एक मिसाल बन गई है।
स्विगी डिलीवरी एजेंट पिता 2 साल की बेटी को साथ रखकर करता है डिलीवरी, जानें लोगों का रिएक्शन
Hindustan Times की खबर के अनुसार, गुरुग्राम के एक सीईओ, मयंक अग्रवाल ने linkedin पर एक पोस्ट साझा की जिसमें उन्होंने पंकज को अपनी बेटी के साथ देखा। मयंक ने पहले पंकज को ऊपर बुलाया, लेकिन कॉल के दौरान उन्हें एक बच्चे की आवाज़ सुनाई दी। जब वे नीचे पहुंचे तो देखा कि एक छोटी बच्ची, जिसकी उम्र लगभग दो साल थी, बाइक पर बैठी थी। यह जानकर कि पंकज के पास अपनी बेटी की देखभाल करने वाला कोई नहीं है, मयंक भावुक हो गए। पंकज ने बताया कि उसकी पत्नी की मृत्यु डिलीवरी के दौरान हो गई थी और उसका बड़ा बेटा शाम को ट्यूशन जाता है।
पंकज की यह मेहनत और चुपचाप झेली जा रही चुनौती कई लोगों को छू गई। मयंक की पोस्ट में लिखा था कि कुछ ग्राहक पंकज को कहते हैं, "अगर नहीं संभलता तो घर बैठो। बच्चा होना तुम्हारी समस्या है।" इसके बावजूद पंकज बिना शिकायत के सिर्फ मुस्कुरा देते हैं।
पोस्ट पर प्रतिक्रियाओं की बाढ़ आ गई। एक यूज़र ने लिखा, “यह बहुत मार्मिक है। थोड़ा संस्थागत सहारा ऐसे जीवनों में बड़ा बदलाव ला सकता है।” एक अन्य ने कमेन्ट की, “महिलाएँ सदियों से यही करती आ रही हैं... इस आदमी और उन महिलाओं को सलाम।” एक यूज़र ने घरेलू सहायकों का उदाहरण देते हुए कहा कि ऐसे लोग अक्सर सम्मान से वंचित रह जाते हैं, जबकि वे समाज के असली नायक होते हैं।
इस घटना ने न केवल व्यक्तिगत संघर्ष को उजागर किया है, बल्कि समाज और संस्थानों को सोचने पर मजबूर कर दिया है कि वे ऐसे लोगों के लिए क्या कर सकते हैं। स्विगी से प्रतिक्रिया मांगी गई है।