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मनी लेसंस
रिसर्च की मानें, तो पुरुषों के मुकाबले महिलाएं ज्यादा अच्छी इन्वेस्टर्स होती हैं। महिलाएं रिस्क-कॉन्शियस होती हैं। वे नई चीजों को जानने के लिए उत्सुक होती है। महिलाओं के लिए पैसे और उसका मैनेजमेंट दोनों ही जरूरी है क्योंकि यह आपके कॉन्फिडेंस को बढ़ाता है और फ्यूचर सेफ्टी की भी गारंटी देता है। मनी लेसंस
आपको हर महीने अपनी कमाई में से कुछ % सेविंग के लिए रखना चाहिए। अपने सहेजे हुए पैसों को कहीं इन्वेस्ट करें। अगर आप इन सब चीजों से बेखबर हैं, तो आप बेशक किसी भी फाइनेंशियल एडवाइजर की मदद ले सकती हैं।
अभी का समय बिल्कुल अनप्रिडिक्टेबल है। हमें नहीं पता कि कब क्या हो जाए और हमें कौन-सी इमरजेंसी में कितने पैसों की जरूरत पड़े। बेहतर होगा कि हम पहले से तैयार रहें। अपनी कमाई के जरिये (मल्टीपल सोर्स of इनकम) को बढ़ाएं। यदि एक जगह से पैसे आना बंद भी हो गए या हमारी सैलरी कम हो गई तो हमें दूसरी जगह से पैसे मिलते रहेंगे।
हम सभी जानते हैं कि मार्केट में ऐसे बहुत सारे प्रोडक्ट है, जो स्पेशली विमेन को टारगेट करते हैं। लेकिन हमें यह समझना होगा कि उन सब प्रोडक्ट में से हमें कौन-सी चीजों की वाकई में जरूरत है या किन चीजों के बिना भी हम गुजारा कर सकते हैं। स्मार्ट बनिए और जरूरी चीजों के लिए ही खर्च करें। मनी लेसंस
आजकल रिप्रोडक्टिव हेल्थ इश्यूज, ओवेरियन, सर्विकल, ब्रेस्ट कैंसर आदि बढ़ गए हैं। एक रिसर्च की मानें, तो महिलाएं पुरुषों से कुछ अधिक वर्षों तक जीवन जीती हैं। तो इस अनुसार, महिलाओं को हेल्थ रिस्क ज्यादा है और मेडिकल सेवाओं की जरूरत भी।
अक्सर ये माना जाता है कि एक लड़की की शादी के बाद उसे अपने पेरेंट्स को फाइनेंशियल सपोर्ट करने की क्या जरूरत है या लड़की के रिटायरमेंट का सारा खर्चा तो उसके पति को ही उठाना पड़ता है। लेकिन ऐसा नहीं है। क्या पता आगे चलकर अगर आपका पति आपको डिवोर्स देना चाहे। कहने का अर्थ यह है कि फाइनेंशियली किसी पर भी निर्भर होना अच्छी बात नहीं।
आपको हमेशा अपनी मेहनत से कमाए पैसों पर गर्व होना चाहिए। यह मत सोचिए कि आपके पति की या दूसरे लोगों की इनकम आपसे ज्यादा है या नहीं। अपने पैसों को, अपनी कमाई को सीरियसली लें, तो लोग भी उसे सीरियसली लेना शुरु करेंगे।
अपने कुछ शॉर्ट-टर्म और लॉन्ग-टर्म फाइनेंशियल गोल्स बनाइए। आप किस चीज के लिए, कहां पर कितना खर्च कर रही है, उसका पूरा अकाउंट रखिए। यह देखें कि कहां आप अपने खर्चे कम कर सकती है और कैसे अपनी सेविंग को बढ़ा सकती है। जब भी आपको अपनी मंथली सैलरी मिले तो आप उन्हें कुछ टुकड़ों में बांट दीजिए कि कितना घर खर्च के लिए चाहिए, कितना सेव करना है, कितना हमें अपनी ट्रैवल और लेजर एक्टिविटी के लिए अलग रखना है। साथ ही इमरजेंसी फंड्स के लिए भी पैसे इकट्ठा करना चालू करें। यह आपको वर्तमान में एश्योरेंस और कॉन्फिडेंस देगा।
हम सब जानते हैं कि जब हम अपना घर बनवा रहे होते हैं या हम घर खरीद रहे होते हैं, तब भी हम प्रोफेशनल एडवाइस लेते हैं। तो जब बात मनी और इन्वेस्टिंग की हो तो हमें फाइनेंसियल एडवाइस लेने में बिल्कुल भी हिचकिचाना नहीं चाहिए। स्मार्ट चॉइसेज का फैसला लें।
आप जो भी काम करती हैं, उसके अनुसार आपको पैसे मिलने ही चाहिए। अपने हक के पैसे मांगने में कोई शर्म की बात नहीं। आप को लगता होगा कि शायद दूसरे आपको लालची या मनी-माइंडेड समझते है, लेकिन ये सब सोचना बंद करें। हमेशा याद रखें कि आप वही मांग रही हैं, जो आप डिजर्व करती हैं।
रिसर्च की मानें, तो पुरुषों के मुकाबले महिलाएं ज्यादा अच्छी इन्वेस्टर्स होती हैं। महिलाएं रिस्क-कॉन्शियस होती हैं। वे नई चीजों को जानने के लिए उत्सुक होती है। महिलाओं के लिए पैसे और उसका मैनेजमेंट दोनों ही जरूरी है क्योंकि यह आपके कॉन्फिडेंस को बढ़ाता है और फ्यूचर सेफ्टी की भी गारंटी देता है। मनी लेसंस
1) सेविंग और इन्वेस्टिंग
आपको हर महीने अपनी कमाई में से कुछ % सेविंग के लिए रखना चाहिए। अपने सहेजे हुए पैसों को कहीं इन्वेस्ट करें। अगर आप इन सब चीजों से बेखबर हैं, तो आप बेशक किसी भी फाइनेंशियल एडवाइजर की मदद ले सकती हैं।
2) कमाई के एक से अधिक जरिए
अभी का समय बिल्कुल अनप्रिडिक्टेबल है। हमें नहीं पता कि कब क्या हो जाए और हमें कौन-सी इमरजेंसी में कितने पैसों की जरूरत पड़े। बेहतर होगा कि हम पहले से तैयार रहें। अपनी कमाई के जरिये (मल्टीपल सोर्स of इनकम) को बढ़ाएं। यदि एक जगह से पैसे आना बंद भी हो गए या हमारी सैलरी कम हो गई तो हमें दूसरी जगह से पैसे मिलते रहेंगे।
3) कम खर्च करें
हम सभी जानते हैं कि मार्केट में ऐसे बहुत सारे प्रोडक्ट है, जो स्पेशली विमेन को टारगेट करते हैं। लेकिन हमें यह समझना होगा कि उन सब प्रोडक्ट में से हमें कौन-सी चीजों की वाकई में जरूरत है या किन चीजों के बिना भी हम गुजारा कर सकते हैं। स्मार्ट बनिए और जरूरी चीजों के लिए ही खर्च करें। मनी लेसंस
4) हेल्थ इंश्योरेंस
आजकल रिप्रोडक्टिव हेल्थ इश्यूज, ओवेरियन, सर्विकल, ब्रेस्ट कैंसर आदि बढ़ गए हैं। एक रिसर्च की मानें, तो महिलाएं पुरुषों से कुछ अधिक वर्षों तक जीवन जीती हैं। तो इस अनुसार, महिलाओं को हेल्थ रिस्क ज्यादा है और मेडिकल सेवाओं की जरूरत भी।
5) रिटायरमेंट प्लान / फैमिली को सपोर्ट
अक्सर ये माना जाता है कि एक लड़की की शादी के बाद उसे अपने पेरेंट्स को फाइनेंशियल सपोर्ट करने की क्या जरूरत है या लड़की के रिटायरमेंट का सारा खर्चा तो उसके पति को ही उठाना पड़ता है। लेकिन ऐसा नहीं है। क्या पता आगे चलकर अगर आपका पति आपको डिवोर्स देना चाहे। कहने का अर्थ यह है कि फाइनेंशियली किसी पर भी निर्भर होना अच्छी बात नहीं।
6) अपने पैसों को सीरियसली लें
आपको हमेशा अपनी मेहनत से कमाए पैसों पर गर्व होना चाहिए। यह मत सोचिए कि आपके पति की या दूसरे लोगों की इनकम आपसे ज्यादा है या नहीं। अपने पैसों को, अपनी कमाई को सीरियसली लें, तो लोग भी उसे सीरियसली लेना शुरु करेंगे।
7) प्लानिंग
अपने कुछ शॉर्ट-टर्म और लॉन्ग-टर्म फाइनेंशियल गोल्स बनाइए। आप किस चीज के लिए, कहां पर कितना खर्च कर रही है, उसका पूरा अकाउंट रखिए। यह देखें कि कहां आप अपने खर्चे कम कर सकती है और कैसे अपनी सेविंग को बढ़ा सकती है। जब भी आपको अपनी मंथली सैलरी मिले तो आप उन्हें कुछ टुकड़ों में बांट दीजिए कि कितना घर खर्च के लिए चाहिए, कितना सेव करना है, कितना हमें अपनी ट्रैवल और लेजर एक्टिविटी के लिए अलग रखना है। साथ ही इमरजेंसी फंड्स के लिए भी पैसे इकट्ठा करना चालू करें। यह आपको वर्तमान में एश्योरेंस और कॉन्फिडेंस देगा।
8) किसी से मदद मांगने में शर्म कैसी?
हम सब जानते हैं कि जब हम अपना घर बनवा रहे होते हैं या हम घर खरीद रहे होते हैं, तब भी हम प्रोफेशनल एडवाइस लेते हैं। तो जब बात मनी और इन्वेस्टिंग की हो तो हमें फाइनेंसियल एडवाइस लेने में बिल्कुल भी हिचकिचाना नहीं चाहिए। स्मार्ट चॉइसेज का फैसला लें।
9) अपने हक का पैसा मांगे
आप जो भी काम करती हैं, उसके अनुसार आपको पैसे मिलने ही चाहिए। अपने हक के पैसे मांगने में कोई शर्म की बात नहीं। आप को लगता होगा कि शायद दूसरे आपको लालची या मनी-माइंडेड समझते है, लेकिन ये सब सोचना बंद करें। हमेशा याद रखें कि आप वही मांग रही हैं, जो आप डिजर्व करती हैं।