Sex Education: सबसे पहले आप इस बात को दिमाग से निकाल दें कि सेक्स के बारे में बात करना ठीक नहीं रहेगा। ऐसा हो सकता है कि बच्चों द्वारा इस तरह के सवाल पूछे जाना थोड़ा अजीब लग सकता है पर लगभग हर माता-पिता को ऐसे सवालों का सामना करना ही पड़ता है।
जाने कैसे करें शुरुआत
जो parents इस बारे में बात करना भी चाहते हैं वे इस कन्फ्यूजन में रहते हैं कि बच्चों के ऐसे सवालों के जवाब देने की सही उम्र क्या होनी चाहिए? इसकी कोई सही उम्र नहीं होती इसलिए जब से बच्चे सवाल पूछना शुरू करें, तभी से इसकी शुरुआत की जा सकती है। आमतौर पर 3-4 वर्ष की उम्र में बच्चे अपने प्राइवेट पार्ट के बारे में पूछने लगते हैं, ऐसे में आप उन्हें बताएं कि यह उनके शरीर का एक प्राइवेट अंग है।
किस उम्र के बच्चे को क्या बताएं?
पांच वर्ष की उम्र तक
इस उम्र के बच्चों को शरीर के अंगों के सही नाम पता होने चाहिए। साथ ही उन्हें उनके प्राइवेट पार्ट के बारे में भी बताया जाना चाहिये, और गुड टच और बैड टच की जानकारी देनी चाहिये।
पांच से आठ वर्ष की उम्र तक
लड़की और लड़के के शरीर में अंतर बताना चाहिए, क्योंकि इस उम्र में उनमें यह जानने की बहुत उत्सुकता होती है। उन्हें स्लाइड्स दिखाकर इस बारे में जानकारी देनी चाहिए।
नौ से बारह वर्ष की उम्र तक
इस उम्र के बच्चे अपने शरीर में आने वाले बदलावों को लेकर काफी उत्सुक रहते हैं। उन्हें बताएं कि शरीर के अंगों में आ रहे बदलाव बिल्कुल नॉर्मल हैं। लड़कियों को पीरियड्स के बारे में ज़रूर बताएं
बारह वर्ष से बड़े बच्चों को
Teenagers को (homosexuality), (masturbation), सेफ़ सेक्स, contraceptives और कंसेंट के बारे में जरुर बताना चाहिए।
स्कूलों में सेक्स एजुकेशन का होना जरूरी है
12 वर्ष की उम्र और पीरियड्स शुरू होने के पहले लड़कियों को इस बारे में पूरी जानकारी देनी चाहिए। इसके लिए माँ को आगे आना चाहिए। वहीं लड़कों को उनके शरीर में आने वाले बदलावों के बारे में बात करने के लिए पिता का रोल जरूरी होता है। इस उम्र में लड़कों और लडकियों को consent के बारे में अच्छी तरह बताया जाना चाहिये।