School Life: भारत में स्कूल (school) वर्षों से बुनियादी पाठ्यक्रम पर चल रहे हैं। हम सभी ने अपने स्कूलों में शिक्षा (education) को प्रदर्शित करने की पारंपरिक शैली देखी है, पाँच सब्जेक्ट्स पढ़ने होते हैं, छात्र वर्ष में दो बार परीक्षा देते हैं और उनके प्रदर्शन के आधार पर अगली कक्षा में पदोन्नत किए जाते हैं और कुछ को ट्रॉफी और पदक भी दिए जाते हैं। हालांकि इन विषयों में मध्यकाल में राजशाही से लेकर त्रिकोणमिति तक की लगभग सभी जानकारी समाहित है, लेकिन उनमें बुनियादी जीवन कौशल का अभाव है, जिसके लिए वे नौकरी या शादी के बाद भी संघर्ष करते दिखते हैं।
फेमिनिज्म/ Feminism
इस शब्द का इंटरनेट पर इतना अधिक दुरुपयोग किया गया है कि यह लगभग अप्रासंगिक हो गया है। इसका एक कारण स्कूलों में इस तरह की शिक्षा का अभाव है। अनजाने में, एक बच्चा दुनिया में आने पर जेंडर स्टीरियोटाइपिंग को सही देखता है।
समय प्रबंधन
जीवन में सफल होने के लिए, आपको बस इतना करना है कि अपने 24 घंटे कुशलता से प्रबंधित करें। किसी कार्य में संगठित रहना सीखना और उत्पादक होना एक ऐसी चीज है जिसकी लगभग हर इंसान को, हर करियर में जरूरत होगी।
टैक्स और उससे जुड़ी हर चीज
हालांकि हर किसी को टैक्स के लिए फाइल करना पड़ता है, लेकिन शायद ही किसी को यह पता हो कि इसे कैसे करना है। एक सर्वेक्षण के अनुसार, 65 प्रतिशत वयस्कों को टैक्स भरने के संघर्ष का सामना करना पड़ा है और उन्हें सीए को फाइलिंग के लिए बड़ी राशि खर्च करनी पड़ी है।
सेक्स एजुकेशन(Sex Education)
अगर टीनएजर बच्चों को बढ़ती उम्र में ही सेक्स एजुकेशन दी जाए तो समाज में होने वाले क्राइम काफी हद तक रुक सकते हैं। स्कूल में उन्हें सिर्फ किताबी कीड़ा बनाने की जगह अगर उनके शरीर के बारे में और दूसरे जेंडर के बारे में खुलकर बताया जाए तो यह उनकी इमोशनल इंटेलिजेंस को बढ़ाएगा जोक एक स्वस्थ दिमाग के लिए बेहद जरूरी है।
प्राथमिक चिकित्सा
ज़रा सोचिए कि अगर हर कोई बुनियादी प्राथमिक चिकित्सा जानता है तो स्थिति कितनी अलग होगी? सड़क पर एक दुर्घटना हो सकती है/कोई व्यक्ति जिसे परिवार में मदद की जरूरत है या कोई दुर्भाग्यपूर्ण घटना हो सकती है, अगर कोई जानता है कि ब्लीडिंग को सही तरीके से कैसे रोका जाए तो वे एक अच्छे नागरिक के रूप में सहायता कर सकते हैं।