Mindful Parenting: जानिए बच्चों की परवरिश में Emotional Intelligence का रोल क्या है?

आज की पेरेंटिंग सिर्फ पढ़ाई-लिखाई तक सीमित नहीं रही, बल्कि बच्चों की emotions को समझना और उन्हें emotionally strong बनाना भी उतना ही ज़रूरी हो गया है।

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Deepika Aartthiya
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Photograph: (Pinterest)

आज के समय में पेरेंटिंग सिर्फ बच्चों की पढ़ाई-लिखाई तक सीमित नहीं रह गई है। पहले जहां माता-पिता का ध्यान सिर्फ अच्छी एजुकेशन और डिसिप्लिन पर होता था, वहीं अब बच्चों की इमोशनल ग्रोथ को समझना भी उतना ही ज़रूरी माना जाता है। पेरेंटिंग अब सिर्फ गाइड करने का नहीं, बल्कि बच्चों की फीलिंग्स को सुनने, समझने और संभालने की प्रक्रिया बन गई है। यही माइंडफुल पेरेंटिंग की असली शुरुआत है।

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Mindful Parenting: बच्चों की upbringing में Emotional Intelligence का रोल

पैरेंट्स है रोल मॉडल

बच्चों के लिए उनके पेरेंट्स उनके रोल मॉडल होते है। ऐसे में ज़रुरी है कि बच्चों से पहले उनके पेरेंट्स का इमोशनली इंटेलीजेंट होना। जब पेरेंट्स बच्चों के सामने patience, empathy और self-control जैसी फ़िलिंग्स दिखाते हैं, तो बच्चे भी उसे naturally अडॉप्ट कर लेते हैं। इसलिए माइंडफुल पेरेंटिंग सिर्फ बच्चों के लिए नहीं, बल्कि पूरे परिवार के रिश्तों को भी स्ट्रॉंग बनाता है।

फीलिंग्स को समझना

जब पेरेंट्स बच्चों के इमोशन्स को सुनते और समझते है तो बच्चों में पॉज़िटिव थिंकिग और कॉन्फिडेंस आता है। इमोशनल इंटेलिजेंस से बच्चे अपनी और दूसरों की फीलिंग्स को भी समझना सीखते है। बच्चे अपने इमोशन्स  healthy तरीके से एक्सप्रेस करने लगते है। वो समझते हैं कि गुस्सा, दुख या खुशी जैसी इमोशंस नॉर्मल है और इन्हें समझना और एक्सप्रेस करना भी ज़रुरी है।

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Sympathy और सोशल अंडरस्टेंडिंग 

जब पेरेंट्स माइंड्फुल होते है तो बच्चे के लिए भी दूसरों के लिए empathy और अंडरस्टेंडिंग डेवलप कर पाना आसान हो जाता हैं। वो दूसरों का नज़रिया भी समझने की कोशिश करते है और उसके अनुसार अपने बिहेवियर को एडजस्ट करना सीखते हैं। इससे उनकी सोशल स्किल्स मजबूत होती है जो उन्हें स्कूल या किसी भी कम्युनिटी में अच्छे रिलेशन्स बनाने में मदद करता है।

पॉज़िटिव बात-चीत

जब पेरेंट्स Emotional Intelligence को अपनाते हुए पेरेंटिंग पर ध्यान देते है, तो बच्चे भी अपने इमोशंस को ओपनली शेयर करना सीखते हैं। जब parents द्वारा बच्चों की बातों को ध्यान से सुना और समझा जाता है तब बच्चें अपनी feelings को दबाए बिना ओपन डिस्कशन करना सीखते हैं। इससे पेरेंट्स और बच्चें के बीच ट्रस्ट बिल्ड होता है और उनकी कम्युनिकेशन स्किल्स भी strong होती हैं।

प्रॉब्लम्स को हैंडल करना

बच्चों में इमोशनल इंटेलीजेंस होने से वो लाइफ में आने वाली प्रॉबलम्स से घबराते नहीं है। बल्कि उनसे डील करना सीखते है। प्रॉबलम्स को समझकर उन्हें स्मार्ट तरीके से सॉल्व करना सीखते है। जब बच्चें अपनी और दूसरों की भावनाओ को समझते है तो disagreements या conflicts जैसी सिचुएशन को भी शांति से और maturely हैंडल करते है।

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