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Single dad (freepik)
Problems single dads have to face: जब हम "सिंगल पैरेंट" शब्द सुनते हैं, तो अक्सर दिमाग में मां की छवि आती है। लेकिन समाज में ऐसे भी बहुत से पिता हैं जो अकेले अपने बच्चों की परवरिश कर रहे हैं बिना किसी लाइफ पार्टनर के मदद के। सिंगल फादर बनना एक बड़ा ज़िम्मेदारी भरा और इमोशनल एक्सपीरियंस होता है, जिसमें उन्हें एक साथ मां और पिता दोनों की भूमिका निभानी पड़ती है। चाहे वो तलाक की वजह से अकेले हुए हों, पत्नी की मृत्यु के बाद, या उन्होंने खुद किसी बच्चे की जिम्मेदारी ली हो हर सिचुएशन अपने साथ चुनौतियों का एक अलग ही रूप लेकर आती है। समाज का नजरिया, इमोशनल प्रेशर, फाइनेंशियल बर्डन और बच्चों के साथ बैलेंस बनाए रखना ये सब सिंगल पिताओं के लिए रोज़ के चैलेंजेस होते हैं।
दिक्कतें जिनका सामना सिंगल पिताओं को करना पड़ता है
1. अकेलापन
अकेले बच्चों की परवरिश करना सिर्फ फिजिकल मेहनत नहीं बल्कि मेंटली भी बहुत थकाने वाला होता है। सिंगल पिता को अपने दुख, थकावट या स्ट्रेस को छिपाना पड़ता है ताकि बच्चों पर उसका असर न पड़े। लेकिन ये दबाव अंदर ही अंदर उन्हें तोड़ता है, क्योंकि उनके पास अक्सर कोई नहीं होता जिससे वे खुलकर बात कर सकें।
2. फाइनेंशियल प्रेशर
सिंगल फादर को अकेले घर चलाना, बच्चों की पढ़ाई, हैल्थ, कपड़े और हर ज़रूरत को पूरा करना होता है। अगर नौकरी अंस्टेबल हो या इनकम कम हो, तो हालात और भी चैलेंजिंग हो जाते हैं।
3. पेरेंटिंग रोल
समाज में पेरेंटिंग के दो अलग-अलग रोल होते हैं – मां इमोशनल सपोर्ट देती है और पिता डिसिप्लिन लाता है। लेकिन जब एक ही इंसान को दोनों रोल निभाने हों, तो वो उलझ जाता है कभी ज़रूरत से ज़्यादा सख्त हो जाता है, तो कभी जरूरत से ज्यादा नरम।
4. कानूनी दांवपेंच
तलाक के बाद बच्चों की कस्टडी अक्सर मां को मिलती है। अगर पिता अपने बच्चों को अपने साथ रखना चाहें, तो उन्हें लंबी और थका देने वाली कानूनी प्रोसेस से गुजरना पड़ता है। कई बार बच्चों को पाने की ये लड़ाई मेंटली और फाइनेंशियली उन्हें थका देती है।
5. बच्चों से इमोशनल अटैचमेंट
काम में बिजी और स्ट्रेस के चलते सिंगल फादर्स के लिए बच्चों के साथ दीप इमोशनल अटैचमेंट बनाना मुश्किल हो जाता है। कई बार बच्चे उन्हें दूर या कमज़ोर समझने लगते हैं, जिससे रिलेशन और भी मुश्किल हो सकते हैं।