Baby Growth: शिशु के दिमागी विकास में सबसे बड़ी रुकावट क्या है?

जानें कि शिशु के दिमागी विकास में कौन-से कारक सबसे बड़ी रुकावट बन सकते हैं और कैसे सही देखभाल और माहौल देकर उनके मानसिक विकास को बढ़ावा दिया जा सकता है।

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Sakshi Rai
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Photograph: (onlymyhealth)

What Is the Biggest Obstacle to a Baby's Brain Development : शिशु के मानसिक विकास में कई कारक भूमिका निभाते हैं, लेकिन कुछ चीजें उनकी ग्रोथ में रुकावट बन सकती हैं। सही देखभाल, पोषण और वातावरण से बच्चे के मस्तिष्क का विकास बेहतर हो सकता है, जबकि कुछ गलतियां उनके विकास को बाधित कर सकती हैं। आइए जानते हैं कि किन कारणों से शिशु के दिमागी विकास में रुकावट आ सकती है और इससे कैसे बचा जाए।

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शिशु के दिमागी विकास में सबसे बड़ी रुकावट क्या है?

शिशु के दिमागी विकास को प्रभावित करने वाले इन कारणों को समझकर और सही देखभाल देकर माता-पिता उनके बेहतर भविष्य की नींव रख सकते हैं।

1. कुपोषण और गलत आहार

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शिशु के मस्तिष्क के विकास के लिए सही पोषण बेहद जरूरी है। अगर बच्चे को आवश्यक विटामिन, मिनरल्स और पोषक तत्व नहीं मिलते, तो इसका सीधा असर उनकी ग्रोथ पर पड़ता है। आयरन, ओमेगा-3 फैटी एसिड और प्रोटीन की कमी मानसिक विकास को धीमा कर सकती है। इसलिए, बच्चों के आहार में हरी सब्जियां, फल, दूध, अंडे और नट्स शामिल करना चाहिए।

2. पर्याप्त नींद की कमी

शिशु के दिमागी विकास के लिए नींद बहुत महत्वपूर्ण होती है। नवजात शिशुओं को दिनभर में 14 से 17 घंटे की नींद की जरूरत होती है। अगर उन्हें पर्याप्त आराम नहीं मिलता, तो यह उनकी याददाश्त, सीखने की क्षमता और संज्ञानात्मक विकास को प्रभावित कर सकता है।

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3. अत्यधिक स्क्रीन टाइम

आजकल छोटे बच्चों को बहुत जल्दी मोबाइल, टीवी और टैबलेट की आदत लग जाती है। अत्यधिक स्क्रीन टाइम उनकी सोचने-समझने की क्षमता को प्रभावित कर सकता है और उनका सामाजिक विकास भी बाधित हो सकता है। बेहतर होगा कि बच्चों को वास्तविक दुनिया की गतिविधियों में शामिल करें, जिससे उनका दिमागी विकास तेजी से हो सके।

4. माता-पिता का तनाव और उपेक्षा

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माता-पिता का मानसिक तनाव बच्चों पर गहरा प्रभाव डाल सकता है। अगर बच्चे को पर्याप्त प्यार और सुरक्षा का एहसास नहीं होता, तो उनका मानसिक विकास प्रभावित हो सकता है। माता-पिता को चाहिए कि वे बच्चे के साथ संवाद करें, उसे पर्याप्त समय दें और प्यार व देखभाल में कमी न रखें।

5. कम शारीरिक गतिविधि

शारीरिक गतिविधियां मस्तिष्क के विकास में अहम भूमिका निभाती हैं। जो बच्चे एक्टिव नहीं होते, उनका न्यूरोलॉजिकल विकास धीमा हो सकता है। बच्चों को बाहर खेलने के लिए प्रेरित करें, जिससे उनकी सीखने और समझने की क्षमता बढ़े।

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6. सही सीखने का माहौल न मिलना

शिशु का मानसिक विकास तभी सही ढंग से होता है जब उन्हें अनुकूल वातावरण मिले। अगर उन्हें कोई नई चीजें सीखने या एक्सप्लोर करने का अवसर नहीं मिलता, तो उनकी सोचने-समझने की क्षमता कमजोर हो सकती है।

7. लगातार बीमार रहना

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अगर शिशु बार-बार बीमार पड़ता है, तो इसका असर उनके मानसिक और शारीरिक विकास पर पड़ता है। कमजोर इम्यून सिस्टम और बार-बार होने वाली बीमारियां उनकी सीखने की क्षमता को प्रभावित कर सकती हैं।

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