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डिजिटल स्क्रीन का अत्यधिक उपयोग आज के समय में आम हो गया है। मोबाइल, लैपटॉप और टेलीविजन से निकलने वाली ब्लू लाइट न केवल आंखों को प्रभावित करती है, बल्कि त्वचा के लिए भी हानिकारक हो सकती है। इसी कारण से कई स्किनकेयर ब्रांड्स ब्लू लाइट प्रोटेक्शन स्किनकेयर को प्रमोट कर रहे हैं लेकिन क्या यह ट्रेंड वास्तव में प्रभावी है या यह सिर्फ एक मार्केटिंग रणनीति है? आइए इसे विस्तार से समझते हैं।
क्या Blue light skincare ट्रेंड वाकई असरदार है?
ब्लू लाइट त्वचा को कैसे प्रभावित करती है?
ब्लू लाइट को HEV (High Energy Visible) Light भी कहा जाता है जो स्क्रीन, LED बल्ब और सूरज से निकलती है। यह UVA और UVB किरणों की तरह ही त्वचा को नुकसान पहुंचा सकती है लेकिन इसके प्रभाव थोड़े अलग होते हैं।
समय से पहले झुर्रियां और एजिंग की समस्या बढ़ सकती है क्योंकि ब्लू लाइट त्वचा की कोलेजन प्रोडक्शन को कम कर देती है। इससे फाइन लाइन्स और झुर्रियां जल्दी दिखने लगती हैं। इसके अलावायह मेलानिन प्रोडक्शन को बढ़ाकर पिग्मेंटेशन और डार्क स्पॉट्स का कारण बन सकती है। संवेदनशील त्वचा वाले लोगों के लिए ब्लू लाइट त्वचा की रेडनेस और इरिटेशन बढ़ाने का काम भी कर सकती है।
क्या ब्लू लाइट स्किन केयर वाकई असरदार है?
अब सवाल यह उठता है कि क्या ब्लू लाइट से बचाने वाले स्किनकेयर प्रोडक्ट्स वाकई प्रभावी होते हैं?
एंटीऑक्सीडेंट-समृद्ध स्किनकेयर ब्लू लाइट डैमेज से बचाने में मदद कर सकता है। विटामिन C, विटामिन E, नियासिनामाइड और ग्रीन टी एक्सट्रैक्ट जैसे तत्व फ्री रेडिकल्स को न्यूट्रलाइज़ कर त्वचा की सुरक्षा में सहायक हो सकते हैं।
ब्लू लाइट ब्लॉकिंग सनस्क्रीन का उपयोग भी लाभदायक हो सकता है। आजकल कुछ सनस्क्रीन में आयरन ऑक्साइड जैसे तत्व शामिल किए जा रहे हैं जो ब्लू लाइट को ब्लॉक करने में मदद कर सकते हैं। हालांकि, रेगुलर ब्रॉड-स्पेक्ट्रम SPF 30+ सनस्क्रीन भी पर्याप्त सुरक्षा प्रदान करता है।
इसके अलावा, डिजिटल डिटॉक्स और स्क्रीन टाइम मैनेजमेंट भी जरूरी है। स्क्रीन ब्राइटनेस कम करना, नाइट मोड ऑन करना और ब्लू लाइट ब्लॉकिंग ग्लासेस पहनना इस समस्या को कम कर सकते हैं।
ब्लू लाइट का त्वचा पर असर तो होता है लेकिन यह सूर्य की UV किरणों जितना नुकसानदायक नहीं है। एंटीऑक्सीडेंट युक्त स्किनकेयर और अच्छी सनस्क्रीन का उपयोग करके त्वचा को सुरक्षित रखा जा सकता है। इसलिए ब्लू लाइट स्किनकेयर ट्रेंड पूरी तरह से मार्केटिंग गिमिक नहीं है लेकिन इसे अपनाने के साथ-साथ स्क्रीन टाइम कम करना भी उतना ही जरूरी है।