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Postpartum Depression में बेबी के साथ बॉन्डिंग बनाने के लिए अपनाएं ये 4 तरीकें

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Swati Bundela
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पोस्टपार्टम डिप्रेशन एक बहुत ही सीरियस समस्या है और ऐसे में बेबी के साथ बॉन्डिंग करने में भी मुश्किलें आती है। जहाँ एक ओर आप बेबी के कारण आए अपने रूटीन में चैंजेस को समझने में लगे रहते हैं वही दूसरी ओर आपका बेबी पूरी तरह आप पर ही डिपेंडेंट होता है। इसलिए पोस्टपार्टम डिप्रेशन में भी बेबी के साथ सही बॉन्डिंग बना कर रखना बहुत ज़रूरी है। इससे ना सिर्फ आपके बेबी की नीड्स पूरी होगी बल्कि आप खुद को भी और ज़्यादा गिलटी होने से बचा पाएंगी। जानिए ऐसे 5 तरीके जिससे आप पोस्टपार्टम डिप्रेशन के दौरान अपने बेबी के साथ बॉन्डिंग बना सकती हैं:

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1. अटैचमेंट बनाने की करें कोशिश



एक नवजात बच्चे और उसकी माँ के बीच में जो इमोशनल बॉन्डिंग होती है उसे अटैचमेंट कहते हैं और ये एक बेबी के लाइफ का सबसे पहला रिलेशन होता है। जब बच्चे को अपनी माँ के साथ अटैचमेंट फील हो तो वो खुद को सेक्योर फील करता है इसलिए पोस्टपार्टम डिप्रेशन के दौरान भी अपने बेबी के साथ अटैचमेंट बनाने की कोशिश ज़रूर करें। इस बात को याद रखें कि आपके बेबी को आपकी ज़रूरत है और उसके लिए आप रेस्पोंसिबल हैं।

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2. अपनी फीलिंग्स को खुद तक ना रखें



पोस्टपार्टम डिप्रेशन तब और ज़्यादा घातक हो जाता है जब आप अपने फीलिंग्स को व्यक्त नहीं करते हैं। इसलिए गिल्ट, गुस्सा, फ़्रस्ट्रेशन या कोई और फीलिंग जो आप फील कर रही हैं उसे व्यक्त करें। जब आपके मन में कुछ नहीं रहेगा तो अपने बेबी के लिए आपके पास अपनेआप समय होगा। आप चाहे तो अपनी फीलिंग्स व्यक्त करने के लिए प्रोफेशनल हेल्प भी ले सकती हैं।
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3. कम्युनिटी की लें मदद



आप आज
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सोशल मीडिया के थ्रू कई तरह की नई मॉम कम्युनिटी की मदद ले सकती हैं। ऐसे कम्युनिटीज के थ्रू आप अपने प्रोब्लेम्स बाकी लोगों के साथ शेयर कर सकती हैं और बदले में आपको कई तरह के एडवाइस मिल सकते हैं। इनके ज़रिये आप भी किसी की मदद कर सकती हैं। इसलिए अगर आप मुश्किल में हैं तो ऐसे सपोर्ट ग्रुप्स की मदद लेने से पीछे ना हटें।

4. एक रूटीन को करें फॉलो



जिस तरह बेबी के आने से पहले आप एक रूटीन को फोल्ल्वो कर रही थीं ठीक उसी तरह बेबी के आने के बाद आप एक नया रूटीन बना सकती हैं। कुछ महीनों का टाइम लेने के बाद एक रूटीन ज़रूर बना लें ताकि आप अपने बेबी के साथ अच्छा समय बिता पाएं। इस बात का भी ध्यान दें की आप इस रूटीन में अपने खुद के लिए भी बराबर समय निकालें।
पेरेंटिंग
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