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1. सब मेजर खर्चा लड़की की फॅमिली उठाएगी
आजकल बहुत सारे लड़के वाले फॉरवर्ड बन कर ये कहते हैं की उन्हें दहेज़ में कुछ नहीं चाहिए। ऐसे लोग फिर ये डिमांड करते हैं की क्योंकि वो दहेज़ भी नहीं ले रहे हैं इसलिए शादी का सारा खर्चा लड़की वालों को उठाना चाहिए। लड़की वाले भी इस बात से इसलिए राज़ी हो जाते हैं क्योंकि उन्हें लगता है की दहेज़ नहीं देना पर रहा है। जब शादी दो लोगों की हो रही है तो खर्च सिर्फ एक ही उठाए ये बात कहाँ तक जायज़ है।
2. पूरी सोसाइटी जज करने आ जाती है
एक भारतीय शादी में आप चली जाएं उसके बाद आपकी शादी की आस लोगों में अपने आप जागृत हो जाती है। ना जानें एक लड़की को कितने ही ऐसे रिलेटिव्स का सामना करना पड़ता है जो उसे ये समझाते हैं की अब अगली शादी उसकी होगी। ऐसे शुभ मौके पे किसी को नर्वस कर देना बिलकुल गलत बात है।
3. पैट्रिआर्की को सपोर्ट करते हुयी प्रथाएं
हम सब ने कभी न कभी किसी शादी में ऐसी कोई प्रथा ज़रूर देखीं होगी जो हमें सही नहीं लगी होगी। फिर चाहे वो लड़की के पिता का लड़के का पैर धोना हो या फिर लड़का का स्वागत करते समय उसके पूरे परिवार को हार पहनाना। ऐसे रीतियां पैट्रिआर्की की देन है। इनके ज़रिए आज भी एक लड़की को ये समझाया जाता है की वो अपने माँ-बाप पे बोझ है और इसलिए उसे विदा करना ज़रूरी है।
4. कपड़ों पे सोसाइटी की जजमेंट
शादी किसी की भी हो, कपड़ों के ज़रिए जज सभी को किया जाता है। सोसाइटी हर लड़की को शादियों में डीप कट ब्लाउज, या वन पीस कपड़ें पहने देख अपनी त्योरि चढ़ा लेती है। ऐसे फंक्शन्स के बहाने ना जानें कितनी ही लड़कियों को सोसाइटी की जजमेंट का निशाना बनाना पड़ता है। भारतीय शादियों की बातें, कपड़ों की जजमेंट तक पहुँच जाए तो ये बिलकुल गलत है।
5. बिदाई सेरेमनी में में सबका रोना
ये समझ पाना बहुत मुश्किल है की जिसे एक लड़की की ज़िन्दगी का सबसे सुनेहरा दिन कहते हैं उस दिन उसे रोना क्यों ज़रूरी है। भारतीय शादियों का सबसे अजीब हिस्सा है बिदाई। इस समय लड़की का पूरा परिवार ऐसे रोता है जैसे फिर कभी वो अपनी बेटी को देख भी नहीं पाएंगे। बिदाई के समय लड़के वालों के चेहरे पे भी पता नहीं फ्री में हो रही शादी की ख़ुशी होती है या फिर पूरी दुनिया के सामने एक लड़की को उसके परिवार से दूर करने की। इन बातों को समझ पाना बड़ा मुश्किल है।