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1. हॉर्मोन्स
हमारे शरीर में हॉर्मोन्स एस्ट्रोजन और प्रोजेस्टेरोन हमारी यूटेराइन लाइनिंग के लिए रेस्पोंसिबल होते हैं। हर मेंस्ट्रुअल साइकिल में ये यूटेराइन लाइनिंग को प्रेगनेंसी के लिये डेवेलोप करते हैं। इन हॉर्मोन्स के कारण भी आपको फिब्रॉइड्स ग्रोथ हो सकता है। फिब्रॉइड्स में नार्मल यूटेराइन मसल्स के मुकाबले ज़्यादा हॉर्मोन रिसेप्टर्स होती हैं। मीनोपॉज के बाद हॉर्मोन लेवल गिरने के कारण ये फिब्रॉइड्स भी घट सकते हैं।
2. फैमिली हिस्ट्री
अगर आपके फैमिली में फिब्रॉइड्स की हिस्ट्री है तो आपको फिब्रॉइड्स होने के चान्सेस बढ़ जाते हैं। इसलिए अगर आपकी फैमिली में कोई ये कंडीशन डेवेलोप करें तो आपको तुरंत डॉक्टर से सलाह लेनी चाहिए और अपना अल्ट्रासाउंड करवाना चाहिए। अगर इसे जल्दी डिटेक्ट किया जाए तो ये आपको ज़्यादा परेशान नहीं कर पाएगा।
3. एक्स्ट्रा सेलुलर मैट्रिक्स
एक्स्ट्रा सेलुलर मैट्रिक्स ऐसा मटेरियल होता है जो आपके सेल्स को आपस में ठीक वैसे ही स्टिक कर देता है जैसे ब्रिक्स के बीच में मोर्टार। फिब्रॉइड्स में एक्स्ट्रा सेलुलर मैट्रिक्स होता ज़्यादा होता है जिस कारण ये बहुत ज़्यादा फ़िब्रोस बन जाता है। एक्स्ट्रा सेलुलर मैट्रिक्स में कई तरह के ग्रोथ फैक्टर्स होते हैं जो आपके सेल्स में कई तरह चेंजेस कर देता हैं।
4. प्रेगनेंसी
प्रेगनेंसी के दौरान आपके एस्ट्रोजन और प्रोजेस्टेरोन हॉर्मोन्स के लेवल काफी ज़्यादा बढ़ जाते हैं। इसलिए ऐसा हो सकता है की आपके प्रेगनेंसी के समय फिब्रॉइड्स काफी रैपिडली बढ़ जाएं। इसलिए प्रेगनेंसी के समय अपना रेगुलर अल्ट्रासाउंड करवाते रहें।
5. कई और ग्रोथ फैक्टर्स
कई तरह के सब्सटांस आपके बॉडी के टिशुस के ग्रोथ को सपोर्ट करते हैं और यही आपके बॉडी में फ़िब्रोइड ग्र्रोथ को भी प्रमोट कर सकते हैं। ऐसा एक सब्सटांस है इन्सुलिन लाइक ग्रोथ फैक्टर। इसलिए अगर आप इन एक्सटर्नल सब्सटांस को अपने बॉडी म एक्सेप्ट कर रहे हैं तो सावधान हो कर करें।