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Bad Dialogues Of Society: 5 डायलाग जो समाज महिलाओं को सुनाता है

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Swati Bundela
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 1. "लड़कियों को महावारी के बारे में पिता से बात नहीं करना चाहिए"

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जिस प्रोसेस की वजह से हम सब पैदा हुए हैं उसकी बात तक ना हो हमारे बीच उसको इस हद तक बुरा क्यों माना जाता है? क्यों महावारी का खून गंदा है? सही मायने में अच्छे समाज के लिए बेहद ज़रूरी है की घर के मर्दों को इन बातों में शामिल किया जाए और इन पर बेवजह की शर्म दिखाई जाना बंद किया जाए। आज कल के लड़को को चाहिए की वह लड़कियों की तकलीफ के प्रति संवेंदशील हों ना की पीरियड्स को बीमारी की तरह देखें।

2."आपको फिर कोशिश करनी चाहिए, हो सकता है इस बार लड़का हो जाए"

आज इतने विकसित होने पर भी हम इस कदर लड़का लड़की में उलझे हुए हैं की इस तरह की बातें आम तौर पर सुनने में आ जाती हैं। लड़कियों की पूजा करने वाला ही देश है जो कोख में आई लड़की को मारने पर उतावला हो जाता है। शर्म आने वाली बात ये है कि हमने ऐसी दुनिया बनाई है, जिसके बारे हमारी घबराहट बताती है कि वो लड़कियों के लायक नहीं है। अन्यथा क्यूँ हमने समाज के तौर पर लड़कियों का जीवन इस क़दर दूभर बना दिया है कि हमें उनके होने-भर से ख़ौफ़ आता है।

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3. "लड़कियों को घर के काम सीख लेने चाहिए वरना उनसे कोई शादी नहीं करेगा"

यह सुनने में नहीं आता की लड़के को घर के काम सीख लेने चाहिए वरना उनसे कोई शादी नहीं करेगा पर आज भी लड़की को उसकी सूरत, घर संभालने और बच्चा पैदा करने जैसे कामों के आधार पर ही आंका जाता है । पर आज हमें चाहिए की लड़के भी उतनी ही जिम्मेदारी से घर के काम सीखें जितना की लड़कियां। 

 जैसा कि अमेरिका की मशहूर गायिका चेर अपनी मम्मी की इस नसीहत की बेटा एक अमीर आदमी से शादी कर के सेटल हो जाओ पर कहती हैं की "मॉम! आई एम ए रिच मैन!" यानी मां मैं अमीर आदमी हूं !

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4." औरतों को अपने पति के पहले खाना नहीं खाना चाहिए "

अगर इन बेतुकी बातों पर विश्वास करते हैं तो फिर विकास किस काम का? सारा दिन गर्मी में तपते गैस के सामने खड़े हो कर पत्नी खाना बनाए और अब खाने के लिए भी पति का इंतजार करे? एक अच्छा पति भी यही चाहेगा की उसकी पत्नी समय पर खा ले। और यही प्यार है, जो किसी भी औरत को पहले खुद से होना चाहिए फिर किसी और से ।

5. "एक मां होते हुए भी सफल कैरियर होना नामुमकिन है"

जैसे किसी भी मर्द को सफलता के लिए औरत का साथ चाहिए होता है, ऐसी मुश्किल में औरतों को अपने साथी की मदद चाहिए होती है। तो ज़रूरी है की इस तरह की बातें करने की जगह हम मां का रोल निभाने की कोशिश करती औरत का साथ दें, ना की उसको पीछे खींचे।

 मैटरनिटी लीव कोई बुरी बात नहीं, बल्कि बेहद ज़रूरी है, मां बनने पर नौकरी से निकाल देने वाली कंपानी की असंवेदनशीलता समझ के बाहर है। और कितनी ही औरतें यह सब करके दिखा चुकी हैं, घर, बच्चा, काम साथ में संभाल कर दिखा चुकी हैं जैसे की एम. सी. मैरीकॉम।माँ बन जाना, समाज के लिए बहाने की तरह काम नहीं आना चाहिए लड़कियों की राह रोकने का बल्कि उनके साथ देने का कारण बनना चाहिए।



हमारे लिए ज़रूरी है कि हम बेहद ध्यान दें अपने वर्ताव पर, अपने शब्दों पर, शब्दों से समाज है, पहले शब्द सुधारें फिर ही कर्म सुधार पाएंगे हम।



महिला प्रेरक
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