विश्वास रिश्तों की नींव है। कोई भी रिश्ता तब तक नहीं पनप सकता जब तक उसमें विश्वास न हो। लेकिन क्या विश्वास भी एक जेंडरड कांसेप्ट है? क्या एक जेंडर को विश्वास से लाभ होता है जबकि दूसरे को दबाया जाता है? दुर्भाग्य से हाँ। इस ब्लॉग में जानिए कैसे -
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