Body negativity: बॉडी नेगेटिविटी का अर्थ होता है अपने शरीर के प्रति हीन भावना रखना। बॉडी नेगेटिविटी के कारण आजकल युवा बहुत परेशान चल रहा है। आज के युवा ने गलत बॉडी स्टैंडर्ड्स सेट कर दिए हैं और उन पर मैच ना करने पर खुद को बहुत हीन भावना से देखा जा रहा है। आइए जानते हैं कुछ ऐसे टिप्स जिनसे दूर कर सकते हैं बॉडी नेगेटिविटी को, इस इंस्पिरेशन से भरे ब्लॉग के जरिए:
कैसे कर सकते हैं बॉडी नेगेटिविटी को दूर
1. तुलना न करें(don't compare yourself)
टीवी, वेबसाइट या अन्य सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर दिखने वाले बॉलीवुड स्टार्स को कॉपी करने की कोशिश कभी भी न करें। तुलना करने से आपके मन में एक हीन भावना उत्पन्न होगी और आपको अच्छा महसूस नहीं होगा तो बेहतर उपाय यही है कि हम जैसे हैं वैसे ही खुद को स्वीकार करें और अपनी बॉडी के साथ कॉन्फिडेंट(Confident) महसूस करें।
2. बॉडी इमेज
हमारे आसपास ऐसे बहुत से लोग हैं जो अलग-अलग कारणों से अपने शरीर के बारे में नेगेटिव धारण बना लेते है। इन कारणों में सामाजिक अवधारणाएं जैसे स्त्रियों के लिए गोरे रंग और पुरुषों के लंबे कद को महत्वपूर्ण माना जाना और लोगों के मन में बलवती होती सलेब्रिटी जैसा दिखने की चाहत प्रमुख है। जब सुंदरता के ऐसे पैमाने हम मैच नहीं कर पाते तो खुद को एक हीन भावना में पाते हैं। इसलिए सबसे ज़रूरी है कि कुदरत से मिले रूप-रंग को सहर्ष स्वीकार करें और आलोचनाओं से परेशान होने के बजाय उन्हें सही अर्थ में ग्रहण करें।
3. नए लोगों से मिलें
नेगेटिव बॉडी इमेज़ खुद के बारे में बात करने के ढंग को भी प्रभावित करती है। अपनी बॉडी इमेज़ को लेकर नाखुश रहने वाले लोग अकसर अपने शरीर के बारे में negative कमेंट करते हैं। इस मेंटालिटी से बाहर आने के लिए खाली वक्त में अपने शौक सवाँरे। नई चीज़ें सीखें, जिन एक्टिविटीज़ में मज़ा आता है, उनके लिए वक्त निकालें। अपने हुनर के ज़रिये अपनी पहचान बनाएं। इससे आत्मविश्वास बढ़ेगा। बढ़े हुए आत्मविश्वास की झलक जि़ंदगी में हर जगह दिखेगी।
4. खुश रहें
आत्मविश्वास नेगेटिव विचारों को रोकता है। इसलिए हमेशा खुश रहने की कोशिश करें। इसके लिए खुश लोगों से दोस्ती करें, अच्छी किताबें पढ़ें, फिल्में देखें, ट्रिप्स प्लान करें, रोज़ योग-व्यायाम करें, अच्छा खाना खाएं, अपनी सेहत पर ध्यान दें। शरीर की नियमित जांच कराएं। अगर फिर भी नेगेटिव विचार आने कम न हों तो रोज़ सुबह उठने के बाद कुछ क्षण आंखें बंद कर मन ही मन बोलें, 'मैं परफेक्ट हूं, स्मार्ट हूं...।
5. बदलें नज़रिया
शरीर के बारे में जब भी नेगेटिव विचार आएं तो उन लोगों के बारे में सोचें, जो किसी दुर्घटना की वजह से शारीरिक तौर पर आपसे कमतर हैं या फिर प्रकृति ने ही जिनके साथ ज़्यादती की है। सोचें कि वे किस तरह पाजिटिविटी (Positive) के साथ जि़ंदगी जी रहे हैं। जब वे कभी निराश-हताश नहीं होते। हंसते-मुस्करते जि़ंदगी को आगे बढ़ा सकते हैं तो आप क्यों नहीं। यह सोच आपका नज़रिया बदलेगी।