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इस महामारी के समय में हम डिवाइस और गैजेट्स पर बहुत ज़्यादा डिपेंडेंट हो गए हैं। हम में से कई ज़्यादा लोग वर्क फ्रॉम होम में हैं और इस कारण दिन-रात अपने डिवाइसेस से जुड़े हुए हैं। इसके कई दुष्परिणाम देखने को मिल रहे हैं। डिवाइस डिपेंडेंसी इस कदर लोगों में बढ़ गई है की एक्सपर्ट्स इससे होने वाले स्ट्रेस को अब "डिवाइस स्ट्रेस" के नाम से बुला रहे हैं। फिजिकल मूवमेंट के एब्सेंस में बढ़ रहे डिवाइस डिपेंडेंसी के कारण इस स्ट्रेस को आप इन 5 तरीकों से ख़त्म कर सकते हैं:
सुबह का समय बहुत ही कीमती होता है इसलिए इसे मोबाइल यूज़ करने में ज़ाया ना करें। कई लोग सुबह उठाने के 15 मिनट के अंदर मोबाइल यूज़ करना स्टार्ट कर देते हैं और ये एक बुरे एडिक्शन की निशानी है। सुबह-सुबह फ़ोन यूज़ करने से आपका दिमाग ड्रेन हो जाएगा और आपका वक़्त भी बहुत बर्बाद हो जाएगा। कोशिश करें की वर्कआउट या ब्रेकफास्ट के बाद ही आप फ़ोन को यूज़ करें।
दिन भर मल्टिपल स्क्रीन्स में देखने के कारण हमारी आँखों पर बहुत बुरा असर पड़ सकता है। हमारी आँखों को ब्रेक देना ज़रूरी है। इसके लिए आप अपनी खिड़की या बालकनी में जाएँ और बहुत डिस्टेंस पर रखी किसी चीज़ को देखें। अपनी आँखों को वॉश करें और अपने हाथों से रब भी करें।
फ़ोन की रिंग या मेल का नोटिफिकेशन भी आपको स्ट्रेस में डाल सकता है। इसलिए आप कोशिश करें की दिन में कम से कम दो से तीन बार आप माइंडफुल ब्रेक लें। माइंडफुल का मतलब है उस मोमेंट में रहना। इसे प्रैक्टिस करने के लिए आप डीप ब्रीथिंग एक्सरसाइज कर सकते हैं और अपने नर्वस सिस्टम को रिलैक्स और रिचार्ज भी कर सकते हैं।
कई बार फ्री होने पर भी हम अपने स्क्रीन्स को एक्स्ट्रा टाइम दे देते हैं जिस कारण स्ट्रेस लेवल और बढ़ता है। आप चाहे तो इससे ब्रेक लेने के लिए ऑफ-स्क्रीन एक्टिविटीज कर सकते हैं। कोशिश करें की आप ऑफिस कॉल्स के बीच में कुछ चित्रकारी करें या फिर कुछ राइटिंग भी कर सकते हैं।
रात को सोने से पहले फ़ोन यूज़ करने से आपकी नींद क्वालिटी पर असर पड़ सकता है। ये आपके सर्कुलर रिधम में इंटरफेयर कर सकता है जिस कारण आपको मनोचिकित्सक बीमारी हो सकती है। इसलिए कोशिश करें की सोने से 45 मिनट पहले आप फ़ोन यूज़ बंद कर दें।
1. अपने दिन की शुरुवात मोबाइल फ़ोन से ना करें
सुबह का समय बहुत ही कीमती होता है इसलिए इसे मोबाइल यूज़ करने में ज़ाया ना करें। कई लोग सुबह उठाने के 15 मिनट के अंदर मोबाइल यूज़ करना स्टार्ट कर देते हैं और ये एक बुरे एडिक्शन की निशानी है। सुबह-सुबह फ़ोन यूज़ करने से आपका दिमाग ड्रेन हो जाएगा और आपका वक़्त भी बहुत बर्बाद हो जाएगा। कोशिश करें की वर्कआउट या ब्रेकफास्ट के बाद ही आप फ़ोन को यूज़ करें।
2. अपनी आँखों को ब्रेक दें
दिन भर मल्टिपल स्क्रीन्स में देखने के कारण हमारी आँखों पर बहुत बुरा असर पड़ सकता है। हमारी आँखों को ब्रेक देना ज़रूरी है। इसके लिए आप अपनी खिड़की या बालकनी में जाएँ और बहुत डिस्टेंस पर रखी किसी चीज़ को देखें। अपनी आँखों को वॉश करें और अपने हाथों से रब भी करें।
3. माइंडफुल ब्रेक लें
फ़ोन की रिंग या मेल का नोटिफिकेशन भी आपको स्ट्रेस में डाल सकता है। इसलिए आप कोशिश करें की दिन में कम से कम दो से तीन बार आप माइंडफुल ब्रेक लें। माइंडफुल का मतलब है उस मोमेंट में रहना। इसे प्रैक्टिस करने के लिए आप डीप ब्रीथिंग एक्सरसाइज कर सकते हैं और अपने नर्वस सिस्टम को रिलैक्स और रिचार्ज भी कर सकते हैं।
4. ऑफ-स्क्रीन एक्टिविटीज पर फोकस करें
कई बार फ्री होने पर भी हम अपने स्क्रीन्स को एक्स्ट्रा टाइम दे देते हैं जिस कारण स्ट्रेस लेवल और बढ़ता है। आप चाहे तो इससे ब्रेक लेने के लिए ऑफ-स्क्रीन एक्टिविटीज कर सकते हैं। कोशिश करें की आप ऑफिस कॉल्स के बीच में कुछ चित्रकारी करें या फिर कुछ राइटिंग भी कर सकते हैं।
5. दिन का अंत फ़ोन से ना करें
रात को सोने से पहले फ़ोन यूज़ करने से आपकी नींद क्वालिटी पर असर पड़ सकता है। ये आपके सर्कुलर रिधम में इंटरफेयर कर सकता है जिस कारण आपको मनोचिकित्सक बीमारी हो सकती है। इसलिए कोशिश करें की सोने से 45 मिनट पहले आप फ़ोन यूज़ बंद कर दें।