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1. बच्चों के वाशरूम ब्रेक्स शेड्यूल करें
इस बात का ख्याल रखे की आपका बच्चा हर 2 से 3 घंटे के अंतराल पर वाशरूम ब्रेक्स पर जाए और इस बात का ख़ास ख्याल रखें की सोने से पहले आपका बच्चा वाशरूम ज़रूर यूज़ करे। अगर आपका बच्चा इस रूटीन को फॉलो नहीं कर पा रहा है तो उस पर झल्लाने के बजाए उसे आराम से ये सीखाएं और समझाएं की वक़्त-वक़त पर वाशरूम यूज़ करना क्यों ज़रूरी है। इससे हो सकता है कि वो इस रूटीन को फॉलो कर पाएं।
2. बच्चों के डाइट से ब्लैडर इर्रिटेन्ट हटाएँ
बच्चों के डिनर डाइट में से धीरे-धीरे ऐसी चीज़ों को हटाना शुरू कर दें जो उनको ब्लैडर को इर्रिटेट कर सकता है। सबसे पहले कैफीन जो चॉकलेट मिल्क या कोको के रूप में आप अपने बच्चे को देते हैं, उसे बंद करें और फिर कुछ दिन ऑब्ज़र्व करें। अगर इसके बाद भी बात ना बने तो कुछ खट्टे फलों के जूस और आर्टिफिशियल फ्लावोरिंग वाले फ़ूड प्रोडक्ट्स से उनकी दूरी बना दें। इससे उनका ब्लैडर ठीक रह सकता है।
3. कॉन्स्टिपेशन को समझें
हमारे शरीर में रेक्टम हमारे ब्लैडर के जस्ट पीछे होता है और इसलिए अगर हमें कॉन्स्टिपेशन की प्रॉब्लम होगी तो ये बेडवेटिंग में भी तब्दील हो सकता है। शोध बताते हैं की एक-तिहाई बेडवेटिंग करने वाले बच्चों को यही समस्या होती है और आम तौर पर पेरेंट्स इस प्रॉब्लम को समझते नहीं हैं। इसलिए अपने बच्चे से कॉन्स्टिपेशन के बारे में ज़रूर बात करें और पता करें की क्या उन्हें भी इसका प्रॉब्लम है।
4. बच्चों की स्क्रीन टाइम घटाएं
अगर बाचे की स्लीप हाइजीन को इम्प्रूव किया जाए तो वो बेडवेटिंग से बच सकते हैं। इसलिए कोशिश करें की रात को सोने से पहले उनका स्क्रीन टाइम काफी कम हो। जब ऐसा होगा तो समय से सो पाएंगे और अच्छी नींद का लाभ उठा पाएंगे। ऐसे में उनकी बेडवेटिंग की आदत भी सुधर सकती है।
5. बच्चों को पनिश ना करें
कई बार बच्चे का बेड वेट्ट करना कई पेरेंट्स को गुस्सा दिला सकता है और ऐसे में ये भी संभव है की आप अपने बच्चे को डाटें या कभी-कभी पनिश भी कर दें। ये तरीका सही नहीं क्योंकि आपकी ऐसी हरकत से बच्चा कुछ सीख नहीं पायेगा और उसकी आदत बदलने के जगह और बुरी बन सकती है।